बस्तर में अमानवीय घटना, सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक दुखद और अमानवीय घटना सामने आई है। रमेश बघेल नामक व्यक्ति अपने पिता के शव को दफनाने के लिए डेढ़ गज जमीन की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं। ग्राम पंचायत और प्रशासन की असफलता के चलते उन्हें छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए इसे शर्मनाक करार दिया।
गांव में कब्रिस्तान को लेकर तनाव, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
यह मामला बस्तर के छिंदवाड़ा गांव का है, जहां रमेश बघेल के पिता का अंतिम संस्कार करने का प्रयास किया गया। लेकिन, गांव के लोगों ने ईसाई धर्म के व्यक्ति को गांव में दफनाने का विरोध किया। यहां तक कि याचिकाकर्ता को अपनी निजी भूमि पर भी शव दफनाने की अनुमति नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया
ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी पर उठे सवाल
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत नियम, 1999 का हवाला दिया, जिसके तहत ग्राम पंचायत का दायित्व है कि वह धर्मानुसार शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह उपलब्ध कराए। राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि छिंदवाड़ा में ईसाई समुदाय के लिए अलग कब्रिस्तान नहीं है, लेकिन 20-25 किलोमीटर दूर करकापाल में जगह उपलब्ध है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक और दुखद है कि एक व्यक्ति को अपने पिता के शव को दफनाने के लिए सर्वोच्च अदालत का सहारा लेना पड़ा। कोर्ट ने ग्राम पंचायत, जिला प्रशासन और हाई कोर्ट की असफलता पर नाराजगी जताई और मामले की अगली सुनवाई बुधवार को तय की।
अंतिम संस्कार न होने से शव मरच्युरी में रखा है
याचिकाकर्ता के पिता का शव अभी भी अस्पताल की मरच्युरी में रखा हुआ है। हाई कोर्ट ने पहले उनकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद रमेश बघेल ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई।