भारत को समान जवाबी कदम उठाने की जरूरत
अगर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारतीय उत्पादों पर उच्च सीमा शुल्क लगाने का फैसला करते हैं, तो भारत को उसी प्रकार की रणनीति अपनानी चाहिए। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, 2018 में जब अमेरिका ने भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम पर कर बढ़ाया था, तब भारत ने 29 अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई की थी।
कौन-कौन से सेक्टर हो सकते हैं प्रभावित?
- वाहन और ऑटोमोबाइल सेक्टर:
उच्च सीमा शुल्क के कारण भारतीय वाहन उद्योग के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। - कपड़ा उद्योग:
अमेरिका के बढ़े शुल्क के कारण भारतीय कपड़ा उत्पाद महंगे हो सकते हैं। - औषधि उद्योग:
भारतीय दवाओं को भी अमेरिकी बाजार में अधिक शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। - आईटी सेक्टर:
एच-1बी वीजा नियमों में सख्ती भारतीय आईटी फर्मों के लिए चुनौती बन सकती है।
अमेरिका के आरोप और भारत का पक्ष
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ अभिजीत दास ने कहा कि ट्रंप का भारत पर ‘अत्यधिक आयात शुल्क’ का आरोप अनुचित है। दुनिया के कई देश अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए कुछ उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाते हैं। भारत ने हमेशा बातचीत और परामर्श का समर्थन किया है, लेकिन अगर अमेरिका अतिरिक्त शुल्क लगाता है, तो भारत को समान कदम उठाने चाहिए।
क्या ट्रंप अपने फैसले पर आगे बढ़ेंगे?
- अमेरिकी कंपनियों पर असर:
कई अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं। शुल्क बढ़ाने से इन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। - व्यापार संबंधों में मजबूती:
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फिओ) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार का मानना है कि भारत-अमेरिका व्यापार संबंध मजबूत बने रहेंगे।
भारत के लिए अवसर
अगर अमेरिका चीनी उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाता है, तो भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में प्रवेश बढ़ाने का मौका मिलेगा। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उप महासचिव एस पी शर्मा के अनुसार, भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में मजबूती की उम्मीद है।