नट्स एंड ड्राई फ्रूट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (NDFC) ने बुधवार को सरकार से कई महत्वपूर्ण सुधारों की मांग की है। व्यापारियों का कहना है कि अखरोट पर आयात शुल्क को युक्तिसंगत किया जाए और मेवों पर जीएसटी को घटाकर पांच प्रतिशत किया जाए। इसके अलावा, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) भी शुरू करने की अपील की गई है। उद्योग निकाय का मानना है कि भारत का मेवा बाजार वर्तमान में 18% सालाना वृद्धि दर से बढ़ रहा है और 2029 तक यह 12 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।
कश्मीर में होता है देश का 90% अखरोट उत्पादन
भारत में अखरोट का सबसे अधिक उत्पादन कश्मीर में होता है, जो कि कुल उत्पादन का 90 प्रतिशत है। इस संदर्भ में, एनडीएफसी के अध्यक्ष गुंजन वी जैन ने कहा कि देश में स्थानीय किसानों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, बावजूद इसके कि अखरोट पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया गया है।
नट्स एंड ड्राई फ्रूट्स काउंसिल ऑफ इंडिया ने अखरोट पर आयात शुल्क को प्रति किलो आधार पर युक्तिसंगत करने की मांग की है। इसके अलावा, परिषद ने बादाम के 35 रुपये प्रति किलोग्राम के शुल्क के समान अखरोट पर 150 रुपये प्रति किलोग्राम शुल्क निर्धारित करने की सिफारिश की है।
चिली और अमेरिका से आयात पर निर्भरता
भारत की मेवा उद्योग अखरोट और अन्य मेवों के लिए प्रमुख आयातकों में से एक है, विशेष रूप से चिली और अमेरिका से। इस आयात निर्भरता को कम करने के लिए, एनडीएफसी ने मेवों के उत्पादन क्षेत्रों का विस्तार करने के लिए सरकार से सब्सिडी बढ़ाने की भी अपील की है।
जीएसटी में कटौती की मांग
एनडीएफसी ने अखरोट और अन्य मेवों के स्वास्थ्य लाभों को ध्यान में रखते हुए और इन्हें अधिक किफायती बनाने के लिए, इन पर माल एवं सेवा कर (GST) को 18% से घटाकर 5% करने की मांग की है।
50 से अधिक देशों के 300 प्रदर्शकों के मेवा इंडिया ट्रेड शो में भाग लेने की उम्मीद है, जिसमें 22 देशों ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की है। भारत अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेवा उपभोक्ता है।