ग्राम मुड़पार : त्रिदिवसीय सत्संग के पहले दिन बद्रीनाथ धाम से पधारे सिद्ध योगी सद्गुरु स्वामी श्री कृष्णानंद जी महाराज ने अपने दिव्य प्रवचन में मां शबरी के तप, त्याग और गुरु के प्रति उनकी निष्ठा का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मां शबरी ने 60 वर्षों तक श्री राम के आगमन की प्रतीक्षा की, और उनकी यह श्रद्धा एवं समर्पण अंततः फलित हुई। यह गुरु-शिष्य परंपरा और सनातन धर्म के मार्ग पर चलने का अनुपम उदाहरण है।
स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के मुख्य संदेश:
- सनातन धर्म का महत्व:
- सनातन धर्म पंथ या संप्रदाय नहीं, बल्कि मोक्ष प्राप्ति और मानव कल्याण के लिए तन-मन-धन अर्पित करने का मार्ग है।
- नर सेवा ही नारायण सेवा है।
- जाति-पाति से ऊपर उठने का आह्वान:
- स्वामी जी ने कहा, “जात-पात से नाता तोड़ो, भाई से भाई का रिश्ता जोड़ो।”
- रामायण और वेदों में कहीं भी उंच-नीच का भेदभाव नहीं मिलता। भगवान श्री राम ने निषादराज को भाई और मां शबरी को ‘मां’ कहकर संबोधित किया।
- युवाओं में जागृति लाने का प्रयास:
- स्वामी जी द्वारा स्थापित संस्था सदविप्र समाज सेवा और सद्गुरु कबीर सेना युवाओं में धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूकता ला रही हैं।
आचार्य हेमंत ने दी ब्रह्म दीक्षा की जानकारी
सदविप्र समाज सेवा के अध्यक्ष आचार्य हेमंत ने बताया कि 5 जनवरी को सुबह 8 बजे ब्रह्म दीक्षा का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने अधिक से अधिक लोगों से इस दिव्य अवसर का लाभ उठाने का आह्वान किया।