सिर्फ 4 मिनट की देरी ने बिगाड़ा भविष्य
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में दिल तोड़ देने वाली घटना सामने आई है, जहां सिर्फ 4 मिनट की देरी के कारण तीन छात्राएं प्री-बीएड परीक्षा से वंचित रह गईं। परीक्षा से बाहर किए जाने के बाद छात्राएं गेट पर ही फूट-फूटकर रोने लगीं, लेकिन परीक्षा केंद्र के कर्मचारियों ने एक न सुनी।
छात्राओं ने कहा – “क्या इंसानियत के लिए 4 मिनट भी नहीं मिल सकते?”
पीड़ित छात्राओं – ज्योति यादव, रमिता कोमा और डेमेश्वरी साहू – ने कहा कि उन्हें 2:04 बजे परीक्षा केंद्र पहुंचने के बावजूद अंदर नहीं जाने दिया गया। परीक्षा 2 बजे शुरू होनी थी। युवतियों ने बार-बार अनुरोध किया, लेकिन गेट पर तैनात महिला सुरक्षा गार्ड ने उन्हें रोक दिया और परीक्षा प्रभारी से बात करने तक नहीं दी गई।
“बच्चे को दूध पिलाने गई थी, इसलिए लेट हो गई” – रमिता की व्यथा
छात्रा रमिता कोमा ने बताया कि वह अपने छोटे बच्चे को दूध पिलाने के कारण कुछ मिनट लेट हो गई थी। वह भावुक होकर बोली – “क्या मातृत्व की कोई कीमत नहीं होती? अब मुझे एक साल और इंतजार करना पड़ेगा।”
क्या नियमों से ऊपर नहीं होनी चाहिए इंसानियत?
पीड़ित छात्राओं ने सवाल उठाया है – “क्या नियमों के साथ-साथ इंसानियत की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए?” जब परीक्षा में 15 मिनट तक की अनुमति की बात होती है, तो सिर्फ 4 मिनट की देरी पर इतना सख्त रवैया क्यों?
प्रशासन से न्याय की मांग, सोशल मीडिया पर उठी आवाज
छात्राओं ने प्रशासन से न्याय की मांग की है और अब यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोगों का कहना है कि परीक्षा केंद्रों पर थोड़ा संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए, खासकर जब छात्राएं जीवन के अहम मोड़ पर हों।