तखतपुर (छत्तीसगढ़)। क्षेत्र में अवैध ईंट भट्ठों का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है, और यह माफिया अब मध्यप्रदेश से आकर पूरे इलाके में अपनी जड़ें जमा चुके हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों की आंखों के सामने हो रहा है, फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिख रही। जनप्रतिनिधियों के संरक्षण और विभागीय अफसरों की मिलीभगत से यह नेटवर्क अब एक संगठित अपराध जैसा बन चुका है।
राजस्व को नुकसान, पर्यावरण पर असर – जिम्मेदार विभाग मौन
इन अवैध ईंट भट्ठों से सरकार को करोड़ों का राजस्व नुकसान हो रहा है। साथ ही अवैध कोयला, लकड़ी, बिजली कनेक्शन, बोर खनन और मिट्टी उत्खनन जैसी गतिविधियों से पर्यावरण भी तबाह हो रहा है। खनिज, बिजली और राजस्व विभाग की चुप्पी इस गोरखधंधे को संरक्षण देती नजर आती है।
गांव-गांव फैले भट्ठे, सरकारी जमीन पर कब्जा कर माफिया की कमाई
तखतपुर क्षेत्र के सांवाडबरा, सिलतरा, विजयपुर, सफरीभाटा, खटोलिया जैसे गांवों में मध्यप्रदेश से आए माफिया वर्षों से अवैध ईंट भट्ठों का संचालन कर रहे हैं। शासकीय भूमि पर कब्जा कर निस्तारी भूमि को भी व्यापारिक उपयोग में लिया जा रहा है। एक-एक फड़ से शुरू हुआ कारोबार अब गांव की सरकारी जमीन को निगल रहा है।
क्या कार्रवाई या फिर वही कागजी खानापूर्ति? SDM ने मांगी रिपोर्ट
एसडीएम शिवकुमार कवर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार से अवैध ईंट भट्ठों की सूची मांगी है। उनका कहना है कि शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वर्ष 2022 में भी कुछ कार्रवाइयां हुई थीं, लेकिन उसका असर अबतक दिख नहीं रहा।
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पटवारी की चुप्पी पर सवाल, प्रशासन की नींद टूटी या फिर दिखावा?
हैरानी की बात यह है कि मुख्यालय पटवारी विद्या मरावी को इन अवैध ईंट भट्ठों की जानकारी नहीं है या जानबूझकर नजरअंदाज कर रही हैं। कॉल करने पर भी जवाब नहीं दिया गया। सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इन माफियाओं के खिलाफ सच में सख्त कदम उठाएगा या हमेशा की तरह सिर्फ जांच और रिपोर्ट तक सीमित रहेगा?