काउंसलिंग से पहले सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को मिली अहम जिम्मेदारी
रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (Rationalization) को लेकर एक बड़ा प्रशासनिक निर्देश सामने आया है। डीपीआई (शिक्षा संचालनालय) ने काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू होने से पहले 9 बिंदुओं में स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनका उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
DPI ने शिक्षा अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अतिशेष शिक्षकों की गणना को लेकर कई तरह की आपत्तियाँ सामने आ रही हैं। डीपीआई ने कहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी सभी प्रस्तावों की सूक्ष्मता से जांच करें और कोई भी त्रुटि न होने पाए।
9 महत्वपूर्ण बिंदु जिन पर देना होगा विशेष ध्यान
-
निलंबन से बहाल शिक्षकों की जानकारी 3 दिनों के भीतर भेजें और बहाली का स्पष्ट कारण भी प्रस्तुत करें।
-
ऐसे विद्यालय जहां शिक्षक तकनीकी रूप से अतिशेष नहीं हैं, लेकिन दर्ज संख्या के आधार पर हो सकते हैं, उनका गहन परीक्षण करें।
-
31 मार्च की स्थिति में छात्र संख्या व कार्यरत शिक्षकों की नाम सहित जानकारी प्राप्त करें।
-
सुनिश्चित करें कि संलग्न शिक्षक मूल शाला में दर्ज हैं या नहीं।
-
सभी कार्यालयों में संलग्न शिक्षकों को मूल पदस्थ शाला में मानते हुए गणना की जाए।
-
आश्रम शाला के अधीक्षकों की गणना भी मूल शाला में की जाए।
-
रिक्त पदों का मिलान विकासखण्ड समिति से प्राप्त जानकारी से करें।
-
शिक्षकविहीन, एकल शिक्षकीय एवं अधिक आवश्यकता वाले विद्यालयों की स्थिति की भी समीक्षा करें।
-
समूची प्रक्रिया को पारदर्शिता के साथ लागू करें और किसी भी प्रकार की लापरवाही पर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करें।
त्रुटि पर अधिकारियों पर होगी जिम्मेदारी तय
डीपीआई ने साफ कहा है कि यह पूरी जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी और संभागीय संयुक्त संचालकों की होगी कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में कोई गलती न हो। यदि किसी स्तर पर गड़बड़ी या लापरवाही पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारी/कर्मचारी पर कठोर कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी।