सरकारी अस्पताल की लापरवाही और भ्रष्टाचार फिर हुआ उजागर
खैरागढ़, छत्तीसगढ़। खैरागढ़ के सिविल अस्पताल में एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य सेवा की साख पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। सड़क दुर्घटना में घायल युवक की मौत के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेरफेर करने के एवज में अस्पताल कर्मी द्वारा 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगे जाने का मामला सामने आया है।
रिश्वत की मांग का ऑडियो वायरल, मृतक के परिजनों से की गई 10 हजार रुपये की डिमांड
घटना से जुड़े ऑडियो क्लिप में अस्पताल सहायक गोलू सिन्हा मृतक के परिजनों से बात करते हुए स्पष्ट रूप से पोस्टमार्टम रिपोर्ट “क्लीन” रखने के बदले 10 हजार रुपये की मांग करता सुनाई दे रहा है। वह कहता है कि अगर रिपोर्ट में शराब सेवन का जिक्र होगा तो बीमा क्लेम नहीं मिलेगा।
गोलू सिन्हा का दावा: बीएमओ के कहने पर ही की बातचीत
जब मीडिया ने गोलू सिन्हा से सवाल किया तो उसने बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन का नाम लेते हुए कहा कि उसने सिर्फ आदेश का पालन किया और खुद पैसे की मांग नहीं की। उसने यह भी बताया कि मृतक का शव मर्चुरी में रखने और पोस्टमार्टम की जानकारी परिजनों को देने का निर्देश बीएमओ ने ही दिया था।
बीएमओ ने जारी किया नोटिस, लेकिन जिम्मेदारी से बचते नजर आए
बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन ने कहा कि मामले की जानकारी मिलते ही नोटिस जारी किया गया है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम पर उन्होंने कोई सीधी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। अब सवाल उठता है कि अगर निर्देश बीएमओ के थे, तो जवाबदेही सिर्फ सहायक पर क्यों डाली जा रही है?
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प्रशासनिक जवाबदेही पर उठे सवाल, अस्पताल प्रबंधन पर संकट
इस घटना ने एक बार फिर यह दर्शा दिया है कि सरकारी अस्पतालों में जवाबदेही का अभाव गंभीर चिंता का विषय है। आम जनता का भरोसा ऐसे संस्थानों से उठता जा रहा है, जहां मानवता से ज़्यादा भ्रष्टाचार और लालच हावी दिखता है।