हजार करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश, फाइलें गायब कर जांच से बचते रहे अफसर
रायपुर। छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में एक बार फिर भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ हुआ है। गरीबों के लिए बने एलआईजी (LIG) और ईडब्ल्यूएस (EWS) मकानों को नियमों को ताक पर रखकर “ऑफर में” डाल दिया गया है। इन सस्ते मकानों की भारी मांग के बावजूद इन्हें बड़े पैमाने पर ऊंची कीमतों पर बेचना एक सुनियोजित घोटाले की ओर इशारा करता है।
गरीबों का हक, अफसरों की लूट
मोदी सरकार और राज्य सरकार की योजना हर जरूरतमंद को घर दिलाने की है, लेकिन हाउसिंग बोर्ड के कुछ भ्रष्ट अफसरों ने इसे मजाक बना दिया है। जिन मकानों का उद्देश्य गरीबों को छत देना था, उन्हें भ्रष्ट अधिकारी अमीरों को बेचकर फायदा कमा रहे हैं।
सड़ी निर्माण गुणवत्ता और फर्जी दस्तावेजों से हुआ हाउसिंग बोर्ड का नुकसान
घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग, फाइलों की हेराफेरी और तय समयसीमा में प्रोजेक्ट पूरा ना कर पाने के चलते बोर्ड की करोड़ों की संपत्ति कबाड़ में बदल गई। सूत्रों के मुताबिक तालपुरी (भिलाई), अभिलाषा परिसर (बिलासपुर) और डूमरतराई (रायपुर) में हुए हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले को दबाने के लिए फाइलें गायब की गईं।
कांग्रेस शासनकाल में तीन अफसरों की भूमिका संदिग्ध
बताया जा रहा है कि पूर्व एमडी पनरियॉ, हर्ष कुमार जोशी और एच के वर्मा ने मिलकर योजनाबद्ध साजिश के तहत घोटाला किया और कांग्रेस सरकार के समय में फाइलें गायब कर दी गईं। लोक आयोग में इस घोटाले की शिकायत की गई, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
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लोक आयोग में जांच लंबित, दोषियों पर अब तक FIR नहीं
जनता से रिश्ता की रिपोर्ट के अनुसार, लोक आयोग ने हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर को व्यक्तिगत समन जारी किया, लेकिन 5 साल बाद भी कोई पेशी नहीं हुई। भ्रष्ट अधिकारियों को जांच अधिकारी बनाकर ही पूरा मामला दबा दिया गया। अब मांग की जा रही है कि ईमानदार अफसरों के माध्यम से स्वतंत्र जांच कर दोषियों पर एफआईआर दर्ज की जाए।