गंगा दशहरा 2025: जानें क्यों है ये दिन विशेष
हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल दशमी को मनाया जाने वाला गंगा दशहरा एक अत्यंत पावन पर्व है। मान्यता है कि इसी दिन माँ गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। 2025 में यह शुभ दिन 5 जून को मनाया जाएगा। इस दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ संयोग भी बन रहे हैं, जो मंत्र जाप को अत्यधिक फलदायक बनाते हैं।
गंगा दशहरा पर मंत्र जाप का महत्व
गंगा दशहरा के दिन मंत्रों का उच्चारण करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है। इस दिन सुबह-सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर मंत्रों का जाप करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
गंगा माता को प्रसन्न करने वाले चमत्कारी मंत्र
1. मानसिक शुद्धि के लिए यह मंत्र जपें:
🕉️गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्। त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम्॥
जप संख्या: 108 बार
लाभ: मानसिक शांति, पापों का क्षय, आत्मिक शुद्धि
2. विष्णु लोक प्राप्ति देने वाला प्रभावशाली मंत्र:
🕉️गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोकं स गच्छति॥
लाभ: पारिवारिक सुख, मोक्ष की प्राप्ति
जप समय: प्रातःकाल व संध्या
3. भक्ति और मोक्ष देने वाला यह मंत्र करें जप:
🕉️नमामि गंगे तव पाद पंकजं, सुरासुरैर्वंदित दिव्य रूपम्। भुक्तिं च मुक्तिं च ददासि नित्यम्, भावानुसारेंण सदा नराणाम्॥
लाभ: दुखों से मुक्ति, सफलता, मोक्ष
जप संख्या: 11 बार, विशेषतः गंगा दशहरा के दिन
गंगा दशहरा के सरल मंत्र – समय की कमी में भी करें जाप
यदि आपके पास समय कम है या लंबे मंत्रों का उच्चारण कठिन है, तो इन सरल बीज मंत्रों का जाप भी लाभकारी रहेगा:
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ॐ गंगायै नमः
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ॐ भागीरथ्यै नमः
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ॐ त्रिवेण्यै नमः
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ॐ शुभायै नमः
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ॐ भाग्यदायिन्यै नमः
जप संख्या: 11, 21 या 108 बार
समय: सूर्योदय व सूर्यास्त के समय
शिव मंत्रों का जाप भी होगा लाभकारी
गंगा भगवान शिव की जटाओं से प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा और ॐ नमः शिवाय का जप भी करें। इससे आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
गंगा दशहरा मंत्र जप के नियम:
नियम | विवरण |
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स्नान | सुबह गंगाजल मिलाकर स्नान करें |
वस्त्र | स्वच्छ, सफेद या हल्के रंग पहनें |
आसन | कुश या ऊन का आसन उपयोग करें |
दिशा | पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखें |
जप संख्या | समयानुसार 11, 21 या 108 बार |