नई दिल्ली। भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष वियतनाम में एक महीने की ऐतिहासिक आध्यात्मिक यात्रा के बाद 2 जून की रात भारत लौट आए हैं। वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी में शुरू हुई यह यात्रा उत्तर से दक्षिण तक 1.78 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव देने वाली साबित हुई।
वियतनाम ने यह आयोजन संयुक्त राष्ट्र वेसाक दिवस के अवसर पर किया था, जहां भारत से ले जाए गए सारनाथ स्थित मूलगंध कुटी विहार के पवित्र अवशेषों को पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया।
भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से दिल्ली पहुंचे पवित्र अवशेष
भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थियां भारतीय वायुसेना के विशेष विमान के माध्यम से हिंडन एयरबेस (गाजियाबाद) से वियतनाम भेजी गई थीं और अब पालम वायुसेना स्टेशन पर सम्मानपूर्वक वापसी हुई है।
ओडिशा के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति, वरिष्ठ भिक्षुओं और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के प्रतिनिधियों ने दिल्ली में इन्हें औपचारिक रूप से प्राप्त किया।
3 जून को दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में होंगे सार्वजनिक दर्शन
आज यानी 3 जून को भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थियों को दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में एक दिवसीय सार्वजनिक दर्शन के लिए रखा गया है। श्रद्धालु सुबह से शाम तक यहां दर्शन कर सकते हैं।
इसके बाद दोपहर में विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन होगा, जिसमें वरिष्ठ भिक्षु, अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि और IBC महासचिव शामिल होंगे।
4 जून को सारनाथ वापसी, मूलगंध कुटी विहार में पुनर्स्थापन
अगले दिन 4 जून को ये अवशेष वाराणसी के रास्ते सारनाथ ले जाए जाएंगे, जहां इन्हें मूलगंध कुटी विहार में औपचारिक रूप से प्रतिस्थापित किया जाएगा। यह यात्रा बुद्ध के शांति और करुणा के शाश्वत संदेश को दुनिया भर तक पहुंचाने वाली एक ऐतिहासिक पहल रही है।
बुद्ध के पवित्र अवशेषों की अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रा का ऐतिहासिक समापन
यह अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रा न केवल भारत-वियतनाम के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करती है, बल्कि बौद्ध आस्था और परंपरा के प्रति वैश्विक श्रद्धा को भी दर्शाती है। इस ऐतिहासिक अवसर ने भारत की बौद्ध विरासत को वैश्विक मंच पर पुनः स्थापित किया है।