भारत, जिसे पहले से पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों पर चिंता है, ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद 50 से अधिक देशों में अपने डेलिगेशन भेजकर पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधों को बेनकाब करने की कोशिश की। लेकिन, अब पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आतंकवाद-रोधी समिति (Anti-Terrorism Committee) का उपाध्यक्ष बनाए जाने की खबर ने भारत के सिरदर्द को और बढ़ा दिया है।
क्या है पाकिस्तान की नई भूमिका?
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान को आतंकवाद-रोधी समिति का उपाध्यक्ष बना दिया है। ये वही समिति है जो वैश्विक आतंकवाद से निपटने के लिए काम करती है। इस समिति का अध्यक्ष अल्जीरिया है, जबकि पाकिस्तान के साथ फ्रांस और रूस भी उपाध्यक्षों में शामिल हैं। पाकिस्तान का इस जिम्मेदारी को निभाना भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि पाकिस्तान के आतंकवाद के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं। इसे ‘चोर को तिजोरी का सुरक्षा जिम्मा देना’ कहा जा रहा है।
भारत का आतंकवाद-रोधी नेतृत्व और पाकिस्तान की भूमिका
भारत ने 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी समिति की अध्यक्षता की थी, और इसने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर प्रभावी कदम उठाए थे। पाकिस्तान को ये जिम्मेदारी मिलने के बाद, भारत के सामने एक नई चुनौती आ खड़ी हुई है। भारत को उम्मीद है कि वह अपने रणनीतिक साझेदारों, जैसे P5 देशों और डेनमार्क जैसे गैर-स्थायी सदस्यों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर प्रभावी कदम उठाएगा।
पाकिस्तान की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भूमिका
पाकिस्तान, 2025-26 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है और वह दो महत्वपूर्ण कार्य समूहों की सह-अध्यक्षता करेगा। इनमें से एक समूह दस्तावेजीकरण और प्रक्रियात्मक मामलों पर केंद्रित होगा, जबकि दूसरा सामान्य प्रतिबंधों के मुद्दों पर काम करेगा। पाकिस्तान की इस भूमिका को लेकर भारत के लिए चिंताएँ और बढ़ गई हैं, क्योंकि इससे पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा बढ़ सकता है।
भारत का प्रतिक्रिया और रणनीति
इस बदलाव के बाद, भारत के लिए ये महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने साझेदारों के साथ मिलकर पाकिस्तान के प्रभाव को सीमित करे। पाकिस्तान के आतंकवाद-रोधी कमेटी में उपाध्यक्ष बनने के बाद, भारत की रणनीति अब P5 देशों और अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की होगी, ताकि पाकिस्तान के आतंकवाद-समर्थक प्रोपेगेंडा को नियंत्रित किया जा सके।
UNSC में नए अस्थायी सदस्य
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हाल ही में हुए चुनावों में बहरीन, कांगो, लाइबेरिया, लातविया और कोलंबिया को 1 जनवरी 2026 से शुरू होने वाले दो साल के कार्यकाल के लिए चुना गया है। इन नए अस्थायी सदस्य देशों के साथ, भारत को पाकिस्तान की रणनीति का मुकाबला करने में मदद मिल सकती है।