रायपुर। भारतमाला मुआवजा घोटाले में पहले से जेल में बंद आरोपी हरमीत सिंह खनूजा की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। रायपुर की पंडरीतराई में ग्राम सेवा समिति की लगभग सवा चार एकड़ जमीन को खनूजा ने कथित रूप से कूटरचित दस्तावेजों के जरिए अपने नाम करवाया, जिसकी बाजार कीमत लगभग 25 करोड़ रुपये आंकी गई है।
कैसे हुआ 25 करोड़ की सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा?
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, खनूजा ने 60 साल पुराने जाली रजिस्ट्री दस्तावेज और फर्जी हक त्याग पत्र के जरिए यह जमीन अपने नाम करवाने की साजिश रची। 15 फरवरी 2023 को तत्कालीन तहसीलदार मनीष देव साहू की मिलीभगत से नामांतरण आदेश पारित करवाया गया।
इस घोटाले में पंडरीतराई के पटवारी विरेंद्र कुमार झा की भूमिका भी उजागर हुई है। पटवारी ने खसरा नंबर 299/1क में बिना किसी वैध रिकार्ड के 12 लोगों के नाम चढ़ाकर बाद में उन्हें हटाकर खनूजा को लाभ पहुंचाया।
जमीन की रजिस्ट्री कैसे हुई फर्जी तरीके से
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जमीन की पुरानी रजिस्ट्री 1965 की बताई गई, लेकिन दस्तावेज में दर्ज विक्रेता कभी भी इस खसरे के मालिक नहीं रहे।
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इसके बावजूद हल्का पटवारी ने कूटरचना करके जमीन का हिस्सा 12 लोगों के नाम चढ़ा दिया।
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बाद में खनूजा ने 7 मार्च 2023 को एक फर्जी हक त्याग पत्र दिखाकर 11 नामों को हटवाया और अपनी फर्म दशमेश रियल इन्वेस्टर के नाम रजिस्ट्री करवा ली।
ग्राम सेवा समिति की शिकायत पर जांच शुरू
ग्राम सेवा समिति रायपुर के मंत्री अजय तिवारी ने 16 अगस्त 2024 को इस फर्जीवाड़े की शिकायत संभागायुक्त महादेव कावरे से की थी। इस पर उपायुक्त ज्योति सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई गई।
जांच में सामने आया कि तहसीलदार और पटवारी दोनों के कृत्य कानून के अनुरूप नहीं थे। समिति ने तत्कालीन तहसीलदार को कारण बताओ नोटिस जारी करने और पटवारी को निलंबित करने की अनुशंसा की है।
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क्या बोले संभागायुक्त?
संभागायुक्त महादेव कावरे ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर स्पष्ट है कि जमीन का हस्तांतरण कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए किया गया। इस पूरे मामले में प्रशासनिक लापरवाही और मिलीभगत के संकेत मिलते हैं, जिस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।