छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग में इस समय भारी असंतुलन और तानाशाही देखने को मिल रही है। शिक्षा नीति 2008 के प्रावधानों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। कहीं 30 बच्चों पर 20 शिक्षक नियुक्त हैं, तो कहीं 550 बच्चों पर सिर्फ 11 शिक्षक काम कर रहे हैं।
अमलीडीह स्कूल की भयावह स्थिति, 551 छात्रों के लिए नहीं हैं पर्याप्त शिक्षक
सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अमलीडीह, रायपुर में पढ़ने वाले 551 छात्रों के लिए महज 11 शिक्षक बचे हैं, जिनमें से हाल ही में 3 शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण के नाम पर अतिशेष घोषित कर ट्रांसफर कर दिया गया है।
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स्कूल में कुल 60 पीरियड प्रति सप्ताह चलाने हैं, लेकिन 9 शिक्षकों से यह कार्य संभव नहीं।
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15 व्याख्याताओं की जरूरत है, लेकिन विभाग आंकड़ों को नजरअंदाज कर रहा है।
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शिक्षक अवकाश पर हों तो पढ़ाई का कोई विकल्प ही नहीं।
युक्तियुक्तकरण बना तानाशाही का हथियार, शिक्षकों को बिना तर्क हटाया गया
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विद्यालय में हिंदी, गणित, जीवविज्ञान जैसे विषयों के लिए शिक्षक नहीं बचे।
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कोमल बघेल, एकमात्र गणित शिक्षिका को भी अतिशेष घोषित कर दिया गया है, जबकि उनके अलावा कोई गणित शिक्षक नहीं है।
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दिव्या शर्मा और वंदना साहू जैसे कई अनुभवी शिक्षक भी बिना ठोस कारण के हटाए गए।
2008 की शिक्षा नीति लागू नहीं, शिक्षा सत्र 2024-25 में और कटौती
शिक्षा नीति 2008 के तहत स्कूल में 22 शिक्षकों की आवश्यकता थी, लेकिन लगातार कटौती के चलते अब केवल 9 शिक्षक बचे हैं।
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सत्र 2023-24 और 2024-25 में 16 में से 8 शिक्षक स्कूल छोड़ चुके हैं या रिटायर हो गए हैं।
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विभाग से लगातार अनुरोध के बाद भी न तो जवाब मिला, न ही समाधान।
प्राचार्य की चिट्ठियां अनसुनी, नया सत्र शुरू होने को है
विद्यालय प्राचार्य ने लोक शिक्षा संचालनालय और जिला शिक्षा अधिकारी को कई बार पत्र लिखे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
“551 बच्चों के लिए 16 शिक्षकों की आवश्यकता है, कृपया तीन नए शिक्षक भेजें और युक्तियुक्तकरण से हटाए गए तीन शिक्षकों को वापस भेजा जाए,” – प्राचार्य, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अमलीडीह।