गर्भवती महिला, मासूम बच्ची और पिता को NGO टीम ने समय रहते पहुंचाया अस्पताल
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी के नवा रायपुर क्षेत्र से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने मानवता को फिर से ज़िंदा कर दिया। एक भीषण सड़क दुर्घटना में जहां लोग सिर्फ तमाशबीन बने रहे, वहीं सामाजिक संस्था ‘कुछ फ़र्ज़ हमारा भी’ के जांबाज़ सदस्यों ने अपनी सूझबूझ, साहस और तुरंत एक्शन लेकर एक परिवार की चार जिंदगियां बचा लीं।
क्या हुआ हादसे में?
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गर्भवती महिला, उसका पति और 2 साल की मासूम बेटी बाइक से जा रहे थे।
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तेज़ रफ्तार कार की टक्कर से तीनों सड़क पर गिर पड़े।
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बच्ची की सांसें थम चुकी थीं, माता-पिता गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
NGO की टीम ने कैसे बचाई जान?
NGO ‘कुछ फ़र्ज़ हमारा भी’ के सक्रिय सदस्य
👉 स्मारिका राजपूत, नितिन सिंह राजपूत, पूनम जुमनानी, तनूजा लालवानी, और तनिष्क राजपूत ने मौके पर पहुंचकर
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बच्ची को तुरंत CPR और रेस्क्यू ब्रीथ देकर जिंदा किया
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सत्य साईं अस्पताल में प्राथमिक इलाज के बाद RIMS रेफर कराया
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मां को बार-बार होश आ-जा रहा था और पिता के दोनों पैर टूट चुके थे
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NGO टीम ने दोनों घायलों को भी अस्पताल पहुंचाया
पुलिस और प्रशासन की क्या भूमिका रही?
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NGO टीम ने कार मालिक और ड्राइवर को रोककर पुलिस को सूचना दी
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NGO संयोजक रजत अग्रवाल पूरे समय फोन पर राहत कार्यों में जुटे रहे
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AIG संजय शर्मा ने प्रशासनिक सहयोग मुहैया कराया
क्या कहा NGO सदस्यों ने?
“हमने सिर्फ एक परिवार नहीं, इंसानियत को बचाया है”
— नितिन सिंह राजपूत, सदस्य – कुछ फ़र्ज़ हमारा भी
समाज के लिए एक प्रेरणा
यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, समाज सेवा और ज़िम्मेदार नागरिकता का प्रतीक बन गई है। आज जब अधिकतर लोग मदद करने के बजाय आगे बढ़ जाते हैं, वहां ‘कुछ फ़र्ज़ हमारा भी’ जैसे संगठन उम्मीद की किरण बनते हैं।