“गुरु मंत्र क्या है और क्यों है ज़रूरी?”  गुरु मंत्र: आध्यात्मिक जागरण की चाबी, जानिए महत्व, विधि और नियम…

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“गुरु मंत्र क्या है और क्यों है ज़रूरी?”  गुरु मंत्र: आध्यात्मिक जागरण की चाबी, जानिए महत्व, विधि और नियम…

गुरु पूर्णिमा का पर्व सद्गुरु को समर्पित होता है — वह जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु, माता-पिता या जीवन में मार्गदर्शन देने वाले व्यक्तित्व का आभार प्रकट करते हैं। इस अवसर पर गुरु से मिला गुरु मंत्र जीवन की दिशा बदलने वाला आध्यात्मिक वरदान माना जाता है।

गुरु मंत्र क्या होता है?

गुरु मंत्र वह पवित्र और गोपनीय मंत्र होता है, जिसे गुरु अपने शिष्य को दीक्षा के समय देता है।
यह आमतौर पर किसी देवता का नाम, विशेष बीज मंत्र या वाक्य होता है जो शिष्य के आध्यात्मिक उत्थान और मानसिक शांति में सहायक होता है।

“मंत्र मूलं गुरु वाक्यं, मोक्ष मूलं गुरु कृपा॥”
यानी सच्चे ज्ञान और मोक्ष की जड़ें गुरु के वचनों और उनकी कृपा में ही होती हैं।

गुरु मंत्र की विशेषताएं:

  • गुरु मंत्र व्यक्तिगत होता है, इसे किसी और से साझा नहीं किया जाता।

  • यह शब्दों से अधिक ऊर्जा का वाहक होता है, जिससे साधना सफल होती है।

  • गुरु मंत्र, केवल उच्चारण नहीं बल्कि आस्था, समर्पण और नियमित साधना का विषय है।

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गुरु मंत्र का जाप कैसे करें?

क्र. नियम विवरण
1. गोपनीयता रखें गुरु मंत्र किसी को न बताएं
2. नियमित जाप करें सुबह-शाम कम से कम एक या दो बार जाप करें
3. शुद्ध स्थान चुनें शांत और पवित्र वातावरण में जाप करें
4. मन से श्रद्धा रखें मंत्र में विश्वास और समर्पण होना ज़रूरी है

Q1: गुरु मंत्र लेना क्यों आवश्यक है?
आध्यात्मिक जागृति, आत्म-साक्षात्कार और जीवन में शांति हेतु यह ऊर्जा संचार का माध्यम होता है।

Q2: गुरु मंत्र कितनी बार पढ़ना चाहिए?
दिन में कम से कम 1-2 बार नियमित रूप से जाप करना शुभ माना जाता है। अधिक बार करना और भी फलदायक है।

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