विशाल मुआवजा फर्जीवाड़े से सरकार को भारी नुकसान, मुख्य आरोपी अभी भी फरार
रायपुर। केंद्र सरकार की बहुप्रतीक्षित भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक बनने वाली फोरलेन हाईवे में करोड़ों के मुआवजा घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने इस घोटाले में अब तक 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और उन्हें रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया गया है।
यह घोटाला फर्जी दस्तावेज, गलत रिपोर्ट और अवैध खाता विभाजन के जरिए अंजाम दिया गया, जिससे सरकार को करीब 600 करोड़ रुपए की आर्थिक क्षति हुई है।
गिरफ्तार आरोपी कौन-कौन?
EOW ने जिन 6 लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें से सरकारी अधिकारी, पूर्व जनप्रतिनिधि और निजी व्यक्ति शामिल हैं:
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गोपाल राम वर्मा – सेवानिवृत्त अमीन, जल संसाधन विभाग
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नरेंद्र कुमार नायक – वर्तमान अमीन, जल संसाधन विभाग
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खेमराज कोसले – पूर्व जिला पंचायत सदस्य, अभनपुर
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पुनुराम देशलहरे – पूर्व सरपंच, नायकबांधा
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भोजराम साहू – निजी व्यक्ति
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कुंदन बघेल – पूर्व अध्यक्ष, नगर पंचायत अभनपुर
इन सभी को मंगलवार को रायपुर के विशेष न्यायालय में पेश कर विधिक कार्रवाई की जा रही है।
जालसाजी का तरीका: फर्जी बटांकन, नकली रिपोर्ट और मोटा कमीशन
EOW की जांच में सामने आया कि जल संसाधन विभाग के दो अधिकारियों ने पहले से अधिग्रहित भूमि के लिए गलत सर्वे रिपोर्ट बनाई। इसके बाद अन्य चार आरोपियों ने फरार राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी बटांकन (खाता विभाजन) और नकली दस्तावेजों के आधार पर मुआवजा हासिल किया।
इन लोगों ने किसानों को फर्जी मुआवजा दिलाने के नाम पर मोटा कमीशन भी वसूला।
फरार अधिकारी और जारी है गिरफ्तारी की कार्रवाई
इस घोटाले में जिन अधिकारियों की भूमिका सामने आई है और जो अब तक फरार हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं:
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निर्भय कुमार साहू – तत्कालीन एसडीएम (वर्तमान में निलंबित)
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शशिकांत कुर्रे – तहसीलदार
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लखेश्वर किरण – नायब तहसीलदार
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जितेंद्र साहू, बसंती धृतलहरे, लेखराम देवांगन – पटवारी
इन सभी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए गए हैं और EOW की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं।
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कैसे हुआ खुलासा और कब शुरू हुई जांच?
मार्च 2025 में मुआवजा वितरण में अनियमितताओं की शिकायत सामने आई थी। इसके बाद तत्कालीन जगदलपुर नगर निगम आयुक्त निर्भय साहू सहित अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था।
राज्य सरकार ने इस गंभीर प्रकरण की जांच EOW और ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) को सौंपी थी। इसके बाद यह खुलासा हुआ कि कई भूमाफिया और निजी व्यक्तियों को बिना अधिकार और फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों का मुआवजा दिलाया गया।