बलरामपुर से दिल दहला देने वाला मामला, पुलिस ने खोला एक साल पुराना राज़
बलरामपुर/सरगुजा, छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में अंधविश्वास की एक भयावह घटना सामने आई है, जहां एक तांत्रिक बैगा ने अपने बीमार बेटे को ठीक करने के लिए तीन साल के मासूम अजय नगेसिया की मानव बलि दे दी। यह घटना तब उजागर हुई जब एक साल से लापता इस बच्चे की गुमशुदगी की जांच में नया मोड़ आया।
ऐसे खुला राज़: शराब के नशे में उगला सच
पुलिस के अनुसार, आरोपी बैगा ने हाल ही में शराब के नशे में एक व्यक्ति को इस भयावह कांड की जानकारी दे दी। जब यह बात पुलिस तक पहुंची, तो तत्काल पूछताछ शुरू की गई। पूछताछ में आरोपी ने कबूल किया कि उसने तंत्र-मंत्र के चक्कर में मासूम को अगवा कर उसकी बलि चढ़ा दी थी।
चौंकाने वाली बात यह है कि उसने बच्चे के सिर और धड़ को अलग-अलग जगहों पर छिपाया था।
21वीं सदी में तंत्र-मंत्र की बलि!
यह घटना छत्तीसगढ़ में फैले अंधविश्वास की गंभीर और खतरनाक स्थिति को उजागर करती है। आज भी कई ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में झाड़-फूंक, टोना-टोटका और बलि जैसी अवैज्ञानिक और अमानवीय कुप्रथाएं जीवित हैं।
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
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डॉ. दिनेश मिश्रा जैसे सामाजिक कार्यकर्ता वर्षों से अंधविश्वास के खिलाफ अभियान चला रहे हैं, लेकिन यह घटना बताती है कि अभी भी व्यापक जनजागरूकता और सरकारी हस्तक्षेप की सख्त जरूरत है।
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अगर गांवों में आधुनिक चिकित्सा सेवाएं और वैज्ञानिक सोच का प्रचार होता, तो शायद अजय आज जीवित होता।
अब क्या करना होगा?
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प्रशासन को झोलाछाप चिकित्सकों और नकली बैगा-गुनियों पर सख्त नजर रखनी होगी।
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हर गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता, जन-जागरूकता अभियान, और सामाजिक निगरानी जरूरी है।