रायपुर। छत्तीसगढ़ में डेयरी उद्योग को मजबूत करने और किसानों-पशुपालकों की आय दोगुनी करने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के सहयोग से एक पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया गया है, जिससे प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
डेयरी विकास को बढ़ावा देने की सरकार की रणनीति
✅ NDDB के सहयोग से छत्तीसगढ़ में डेयरी उद्योग को सशक्त करने की योजना
✅ 5 करोड़ रुपये का निवेश, 6 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ
✅ सफलता के बाद पूरे राज्य में होगा विस्तार
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अधिकांश आबादी कृषि और पशुपालन से जुड़ी है। डेयरी उद्योग को आधुनिक तकनीकों से जोड़कर किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पोषण मिशन को मिलेगा बढ़ावा
📌 डेयरी उद्योग से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिलेगी
📌 युवाओं को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे
📌 महिलाओं और बच्चों के पोषण स्तर में होगा सुधार
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि दूध उत्पादन को बढ़ाने, सरप्लस दूध के उपयोग और किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएं।
छत्तीसगढ़ में दूध उत्पादन और नई कार्ययोजना
🔹 प्रदेश में प्रतिदिन 58 लाख किलोग्राम दूध का उत्पादन
🔹 सहकारी समितियों के माध्यम से दूध की गुणवत्ता जांच और तुरंत भुगतान की सुविधा
🔹 बायोगैस और बायो-फर्टिलाइजर प्लांट से पशुपालकों की अतिरिक्त आय के अवसर बढ़ेंगे
NDDB के चेयरमैन मिनिष शाह ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध संघ की कार्यप्रणाली का गहन अध्ययन किया गया है, जिससे डेयरी उद्योग को उन्नत करने के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई गई है।
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छत्तीसगढ़ को डेयरी उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य
🐄 पशु उत्पादकता बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग
🐄 पशु प्रजनन और पोषण के लिए दीर्घकालिक योजनाओं पर काम
🐄 डेयरी सेक्टर में नवाचार को प्रोत्साहित करने पर जोर
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि डेयरी विकास से राज्य में किसानों और पशुपालकों को आर्थिक सशक्तिकरण मिलेगा। सरकार नए तकनीकी नवाचारों के साथ दुग्ध उत्पादन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।