रायपुर | छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के किसानों ने जल संकट के बीच एक स्मार्ट कृषि मॉडल विकसित किया है, जिससे न सिर्फ उनकी कमाई बढ़ी है, बल्कि जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिला है। कुर्रु गांव के रामनाथ और चैतराम ने पारंपरिक धान की खेती छोड़कर चने की फसल अपनाई और कम लागत में लाखों की कमाई कर ली।
कम पानी, ज्यादा लाभ – चना बना किसानों की पसंद!
✅ रामनाथ ने दो महीने में 84,000 रुपये का चना बेचा।
✅ चैतराम ने 3 एकड़ में चना बोकर 1.76 लाख रुपये कमाए, जबकि उनका खर्च सिर्फ 60,000 रुपये था!
✅ यानी 1.16 लाख रुपये का सीधा मुनाफा – पारंपरिक खेती से ज्यादा फायदेमंद!
धान बनाम चना – कौन है ज्यादा फायदेमंद?
🌾 धान की खेती: प्रति हेक्टेयर 1.20 करोड़ लीटर पानी की खपत
🌱 चना की खेती: सिर्फ 40 लाख लीटर पानी की जरूरत
💡 चने की खेती से हर हेक्टेयर में 80 लाख लीटर पानी की बचत!
🔹 खाद और कीटनाशकों का खर्च 40-45 हजार रुपये तक कम
🔹 मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, जिससे अगली फसल पर कम खर्च
फसल अवधि:
➡️ धान की फसल – 120-130 दिन
➡️ चना की फसल – सिर्फ 70-80 दिन में तैयार!
फायदा: किसान अगली फसल जल्दी बो सकते हैं और सालभर में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं!
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सरकारी योजनाओं से खेती बनी और आसान!
🔹 किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख कर दी गई है, जिससे 7.7 करोड़ किसानों को फायदा होगा।
🔹 प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को हर साल ₹6,000 की आर्थिक सहायता मिलती है।
🔹 फसल बीमा योजना से किसानों को फसल की सुरक्षा और उचित दाम मिल रहा है।
अब सरकार किसानों को ‘अन्नदाता’ से ‘कृषि उद्यमी’ बनाने की दिशा में काम कर रही है। नई तकनीकें, जल संरक्षण और स्मार्ट खेती से कम लागत में अधिक लाभ कमाना अब संभव है!
क्यों अपनाएं स्मार्ट फार्मिंग?
✅ कम लागत, ज्यादा मुनाफा
✅ पानी की बचत और मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि
✅ सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ