बिलासपुर। गरीब भूमिहीन किसानों को 28 साल बाद अपनी आवंटित जमीन पर मालिकाना हक मिलने जा रहा है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में कड़ा फैसला सुनाते हुए मुंगेली जिले के कलेक्टर और तहसीलदार को निर्देश दिए हैं कि किसानों की पट्टे वाली जमीन को राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर सीमांकन और बटांकन प्रक्रिया पूरी की जाए। इसके बाद किसानों को उनकी जमीन का वास्तविक कब्जा दिया जाएगा।
क्या है मामला?
🔹 5 मई 1997 को ग्राम परसवारा, तहसील लोरमी में 118.2510 हेक्टेयर शासकीय भूमि से एक-एक एकड़ जमीन गरीब भूमिहीन किसानों को आवंटित की गई थी।
🔹 28 साल बीतने के बावजूद यह भूमि राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुई, जिससे किसान अपने हक से वंचित रहे।
🔹 वन विभाग के अधिकारियों ने किसानों को खेती करने और पौधे लगाने से भी रोका, जिससे उनकी आजीविका संकट में पड़ गई।
हाईकोर्ट का सख्त निर्देश
🔹 किसानों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए।
🔹 16 अगस्त 2022 को सीमांकन प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन अब तक किसानों को कब्जा नहीं मिल पाया था।
🔹 कोर्ट ने प्रशासन को आदेश दिया कि जल्द से जल्द किसानों को उनकी जमीन का हक सौंपा जाए।
28 साल का संघर्ष और सरकारी लापरवाही
🔹 किसानों ने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
🔹 यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और सरकारी नीतियों के धीमे क्रियान्वयन का बड़ा उदाहरण है।
🔹 गरीब किसान 28 वर्षों से अपनी जमीन के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण उन्हें उनका हक नहीं मिल पाया।