छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र 2025 में सिकलसेल बीमारी का मुद्दा जोरशोर से उठा। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए यह मामला सदन में उठाया और सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 25 लाख लोग सिकलसेल से पीड़ित हैं, लेकिन रायपुर के सिकलसेल संस्थान में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं।
मरीजों को नहीं मिल रहा सही इलाज – अजय चंद्राकर
विधायक अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि मरीज अपनी मौत का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि संस्थान में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है।
👉 प्रदेश में केवल एक ही सिकलसेल संस्थान मौजूद है।
👉 संस्थान का संचालन स्वयं के भवन के बिना हो रहा है।
👉 इलाज की सुविधा न होने से मरीज दर-दर भटक रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री का जवाब – सरकार कर रही प्रयास
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जवाब देते हुए कहा कि राज्य में सिकलसेल प्रबंधन सेल शुरू किया गया है और इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।
🔹 19 शोध पत्र वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित किए गए हैं।
🔹 सिकलसेल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में बोन मैरो ट्रांसप्लांट शुरू करने की योजना है।
🔹 डॉक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही विशेषज्ञों की भर्ती होगी।
भाजपा विधायक का पलटवार – सिर्फ नारियल फोड़कर बैठ गई भूपेश सरकार
अजय चंद्राकर ने कहा कि जब वह स्वास्थ्य मंत्री थे, तब सिकलसेल संस्थान की शुरुआत हुई थी, लेकिन भूपेश सरकार ने सिर्फ भवन के लिए नारियल फोड़कर इसे अधूरा छोड़ दिया।
🛑 संस्थान में कितने डॉक्टर और विशेषज्ञ मौजूद हैं?
🛑 मरीजों के इलाज के लिए कितनी मशीनें उपलब्ध हैं?
स्वास्थ्य मंत्री ने जवाब में कहा कि संस्थान में 180 का सेटअप है, जिसमें 28 कर्मचारी कार्यरत हैं। इसमें 4 विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल हैं और जल्द ही नई भर्ती की जाएगी। जब तक नियुक्ति नहीं होती, तब तक डॉक्टरों को अटैच कर कार्यवाही की जाएगी।
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सिकलसेल संस्थान की मौजूदा स्थिति
✅ चार उन्नत मशीनें उपलब्ध हैं।
✅ नौ तकनीशियन मशीनों को ऑपरेट कर रहे हैं।
✅ प्रतिदिन 60 मरीजों की जांच हो रही है।