रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने सरकारी विज्ञापन, पुस्तकें और प्रचार-प्रसार सामग्री की छपाई में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। वित्त विभाग के सचिव मुकेश कुमार बंसल ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि छत्तीसगढ़ संवाद के माध्यम से ही प्रिंटिंग कार्य कराएं।
👉 अगर किसी विभाग ने बिना अनुमति अन्यत्र से प्रिंटिंग कराई, तो भुगतान नहीं होगा और दोषी अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
🏛 सरकार का बड़ा फैसला: क्यों जरूरी था यह आदेश?
🔹 21 अगस्त 2001 को छत्तीसगढ़ सरकार ने सरकारी विज्ञापन, प्रचार सामग्री और पुस्तकें केवल छत्तीसगढ़ संवाद से छपवाने का आदेश जारी किया था।
🔹 2018-19 में भी शासन ने यह नियम दोहराया था, लेकिन कुछ विभागों ने इसे नजरअंदाज कर निजी प्रिंटिंग प्रेसों से करोड़ों रुपये की छपाई कराई।
🔹 पिछले 10 वर्षों में प्रिंटिंग माफिया सरकारी आदेशों को ठेंगा दिखाते रहे, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
📜 वित्त सचिव का आदेश: अब नियमों की अनदेखी नहीं चलेगी!
✔ केवल छत्तीसगढ़ संवाद के जरिए ही सभी प्रिंटिंग कार्य होंगे।
✔ अन्यत्र प्रिंटिंग कराने के लिए संवाद से अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NOC) लेना अनिवार्य होगा।
✔ बिना NOC के भुगतान नहीं होगा और संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
✔ कोषालय अधिकारियों को भी निर्देश दिया गया है कि केवल संवाद के जरिए कराए गए कार्यों का ही भुगतान करें।
🕵️ कैसे चल रहा था प्रिंटिंग घोटाला?
📌 सरकारी अधिकारी पाठ्य पुस्तक निगम और सरकारी प्रेस के माध्यम से निजी प्रिंटरों को काम दिला रहे थे।
📌 60 करोड़ के शिक्षा बजट में 30 करोड़ से अधिक की अनियमितता का अनुमान था।
📌 2010 से 2021 तक हजार करोड़ रुपये की हेराफेरी का खुलासा हुआ।
📌 2020-21 के बाद कोई टेंडर नहीं हुआ, लेकिन पुराने टेंडर के आधार पर ऊंची दरों पर छपाई जारी रही।
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⚠ सरकारी प्रेस और पाठ्य पुस्तक निगम के भ्रष्टाचार पर लगेगी रोक!
📍 सरकारी प्रेस के नियमों के अनुसार, 6 महीने से अधिक किसी निविदा (Tender) को नहीं बढ़ाया जा सकता, लेकिन नियमों को तोड़ा गया।
📍 समग्र शिक्षा के 60 करोड़ के बजट में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं।
📍 अब सरकार ने इस खेल पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं।