बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी अरपा भैंसाझार नहर परियोजना में करोड़ों के गड़बड़ी का मामला सामने आया है। राजस्व और सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया। जांच में 11 अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी पाया गया था, लेकिन कार्रवाई केवल एक पर हुई।
सरकार ने पटवारी से पदोन्नत होकर राजस्व निरीक्षक बने मुकेश साहू को बर्खास्त कर दिया है, जबकि दो पूर्व SDM और अन्य वरिष्ठ अधिकारी अब भी महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं। इस घोटाले में सिंचाई विभाग और राजस्व विभाग के अफसरों की मिलीभगत उजागर हुई है।
कैसे हुआ करोड़ों का घोटाला?
✔️ मुआवजा बढ़ाने के लिए डायवर्टेड भूमि को बनाया टारगेट
✔️ नहर निर्माण के लिए चुनी गई जमीन का अलाइमेंट बदला
✔️ कागजी हेराफेरी से बिना अधिग्रहण वाली जमीन का मुआवजा जारी
राजस्व और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने डायवर्टेड लैंड को टारगेट किया, क्योंकि इसकी कीमत कृषि भूमि से 20 गुना ज्यादा होती है। जिस जमीन पर नहर बनी ही नहीं, उसे अधिग्रहण वाली जमीन बताकर करोड़ों रुपये का मुआवजा जारी कर दिया गया।
नहर निर्माण का अलाइमेंट बदला गया
नहर निर्माण के लिए जिन जमीनों का सर्वेक्षण हुआ था, उनमें अधिकारियों ने हेरफेर कर दायरा बदल दिया। इस बदलाव से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। नहर की दिशा को बदलकर कागजी हेरफेर से करोड़ों रुपये के गबन को अंजाम दिया गया।
चार साल से जांच फाइल दबाई गई!
इस मामले की 24 जुलाई 2021 को जांच रिपोर्ट सौंपी गई थी।
✔️ जांच में पटवारी मुकेश साहू को दोषी पाते हुए 26 जुलाई 2021 को निलंबित कर दिया गया।
✔️ बाद में उसे राजस्व निरीक्षक (RI) के पद पर पदोन्नति दे दी गई।
✔️ अब जाकर सरकार ने RI मुकेश साहू को बर्खास्त कर दिया।
✔️ लेकिन अन्य बड़े अधिकारी अब भी पदों पर बने हुए हैं।
इन अधिकारियों को घोटाले का दोषी ठहराया गया
1️⃣ कीर्तिमान सिंह राठौर – पूर्व SDM
2️⃣ आनंद रूप तिवारी – पूर्व SDM
3️⃣ मोहर साय सिदार – तत्कालीन नायब तहसीलदार
4️⃣ हुल सिंह – तत्कालीन राजस्व निरीक्षक
5️⃣ RS नायडू – सिंचाई विभाग
6️⃣ AK तिवारी – सिंचाई विभाग
7️⃣ राजेंद्र प्रसाद मिश्रा – सिंचाई विभाग SDO
8️⃣ RP द्विवेदी – सिंचाई विभाग SDO
9️⃣ RK राजपूत – सिंचाई विभाग सब-इंजीनियर
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फर्जी भुगतान वाले खसरा नंबर और रकम
📌 1/6 – ₹3.04 करोड़
📌 1/4 – ₹95.14 लाख
📌 9/5 – ₹76.51 लाख
📌 10/4 – ₹81.38 लाख
📌 18/9 ख – ₹64.03 लाख
📌 19 – ₹88.76 लाख
📌 42/17 – ₹41.31 लाख
📌 42/7 – ₹65.80 लाख
📌 42/5 – ₹67.74 लाख
📌 44/21 – ₹63.98 लाख
सरकार क्या कार्रवाई करेगी?
➡️ केवल एक अधिकारी को बर्खास्त किया गया, लेकिन घोटाले के अन्य आरोपी अफसर अब भी पदों पर बने हुए हैं।
➡️ क्या सरकार इन सभी दोषियों पर कार्रवाई करेगी?
➡️ क्या इस मामले में CBI जांच होगी?