कोर्ट के आदेश की अवहेलना, श्रमिकों को नहीं मिला ईपीएफ का लाभ
रायपुर। प्रदेश में कार्यरत आकस्मिक श्रमिकों के वेतन से ईपीएफ कटौती को लेकर कर्मचारी नेता सोमनाथ साहू ने 2016 में अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने श्रमिकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ईपीएफ कटौती के आदेश दिए, लेकिन लोक निर्माण विभाग (PWD) में इस आदेश का पालन नहीं हुआ।
2017-2022 तक ईपीएफ लागू नहीं, श्रमिकों को हुआ नुकसान
तत्कालीन ईएनसी विजय कुमार भतपहरी ने 2017 से 2022 तक ईपीएफ लागू नहीं किया, जबकि मुख्य सचिव विवेक ढांढ ने 2016 में सभी विभागों को ईपीएफ कटौती के निर्देश दिए थे। अवर सचिव सी. तिर्की ने 2017 में इसकी अनुमति भी दी, फिर भी इसे लागू नहीं किया गया।
इस लापरवाही को लेकर सोमनाथ साहू ने फिर से कोर्ट का रुख किया। 2022 में कोर्ट ने श्रमिकों के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन आदेश के बावजूद कई श्रमिकों को ईपीएफ का लाभ नहीं मिला।
2021 में 40 करोड़ की वसूली का आदेश, फिर भी जारी रही अनियमितता
कर्मचारी संगठनों ने 2021 में ईपीएफ कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई, जिसके बाद लोक निर्माण विभाग को 40 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया गया।
2022 में के.के. पीपरी के ईएनसी बनने के बाद स्थिति में सुधार हुआ। उन्होंने 60 संभाग कार्यालयों में ईपीएफ कोड तैयार करवाया और 6,000 आकस्मिक श्रमिकों का यूएएन नंबर जारी कराया। उनके प्रयासों से वित्त विभाग ने 71 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया।
लेकिन उनके सेवानिवृत्त होने के बाद भतपहरी दोबारा प्रभारी ईएनसी बन गए और उन्होंने एक बार फिर ईपीएफ पर रोक लगा दी।
4,000 श्रमिकों का ईपीएफ अधर में, वित्त विभाग पर 52 लाख मासिक का बोझ
ईएनसी भतपहरी के निर्णय से 4,000 श्रमिकों का 12% ईपीएफ अंशदान रुक गया है, जिससे मासिक 52 लाख रुपये और सालाना 6.3 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
इससे पहले भी वित्त विभाग को 2017-2021 के दौरान 40 करोड़ रुपये में से 20 करोड़ श्रमिक अंशदान के रूप में जमा करने पड़े थे।
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सभी ईई और डीए को मिलेगा नोटिस, महालेखाकार कार्यालय करेगा ऑडिट
ईएनसी भतपहरी के इस आदेश से लोक निर्माण विभाग के सभी ईई और डीए को नोटिस जारी किया जाएगा।
महालेखाकार कार्यालय भी इस मामले में ऑडिट आपत्ति दर्ज कर सकता है, जिससे संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई संभव है।
इस मुद्दे पर जब पीडब्ल्यूडी के डीए सुरेश गांधी और डीए देवेश कुमार माहेश्वरी से प्रतिक्रिया लेनी चाही तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।