पुराने पेंशनर्स को बड़ी राहत, हाई कोर्ट ने सरकार को दिया निर्देश
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि वे 2006 से पहले रिटायर हुए सरकारी कर्मचारियों को छठवें वेतन आयोग के तहत पेंशन लाभ का भुगतान सुनिश्चित करें। न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी पेंशनभोगियों को दो अलग-अलग श्रेणियों में बांटना असंवैधानिक है और इससे समानता के अधिकार का हनन होता है।
120 दिनों में संशोधित पेंशन जारी करने का आदेश
हाई कोर्ट ने मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 की धारा 49 के तहत यह स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश दोनों राज्य सरकारों को पेंशन भुगतान की जिम्मेदारी साझा करनी होगी। कोर्ट ने 120 दिनों के भीतर संशोधित पेंशन जारी करने का आदेश दिया। यह फैसला छत्तीसगढ़ शासकीय महाविद्यालयीन पेंशनर्स संघ द्वारा दायर याचिका के बाद आया, जिसमें 1 जनवरी 2006 से पहले रिटायर हुए कर्मचारियों के साथ भेदभाव का मुद्दा उठाया गया था।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष: अनुच्छेद 14 का उल्लंघन
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि 2006 के बाद रिटायर हुए सरकारी कर्मचारियों को छठवें वेतन आयोग का लाभ दिया गया, लेकिन 2006 से पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को इससे वंचित रखा गया। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन बताया और अदालत से न्याय की मांग की।
राज्य सरकार का जवाब: वित्तीय बोझ का तर्क
सरकार ने तर्क दिया कि यदि 2006 से पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को पेंशन वृद्धि का लाभ दिया जाता है, तो राज्य पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा। सरकार ने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत पेंशन देयता का विभाजन किया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट का निष्कर्ष: भेदभाव असंवैधानिक
याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें पेंशन वर्गीकरण को असंवैधानिक करार दिया गया था। हालांकि, छत्तीसगढ़ सरकार ने वित्तीय बाधाओं का तर्क दिया, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे अनुचित मानते हुए छठवें वेतन आयोग के लाभ देने का आदेश दिया।
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पेंशनर्स को मिलेगा लाभ!
इस फैसले से छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में हजारों पेंशनर्स को लाभ मिलेगा। अब सरकार को 120 दिनों के भीतर संशोधित पेंशन जारी करनी होगी। यह फैसला अन्य राज्यों के लिए भी एक नजीर बन सकता है।