30 दिन में 3 छात्र आत्महत्या कर चुके: मोबाइल की लत, पढ़ाई से दूरी और परीक्षा का दबाव बना जानलेवा…

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30 दिन में 3 छात्र आत्महत्या कर चुके: मोबाइल की लत, पढ़ाई से दूरी और परीक्षा का दबाव बना जानलेवा...

छत्तीसगढ़, सरगुजा। पढ़ाई का दबाव, मोबाइल की लत और मानसिक तनाव अब नाबालिग छात्रों की जान लेने लगा है। सरगुजा जिले के सीतापुर ब्लॉक के ग्राम कसाईडीह में कक्षा 9वीं के छात्र ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उसके पिता ने मोबाइल देखने पर डांट दिया था।

यह घटना पिछले 30 दिनों में तीसरी छात्र आत्महत्या की घटना है। तीनों ही मामलों में फांसी लगाकर जान दी गई है, और इन घटनाओं ने समाज को झकझोर कर रख दिया है।

मोबाइल की लत और फेल होने का डर बना जानलेवा

  • 16 वर्षीय छात्र दोबारा 9वीं की परीक्षा दे रहा था।

  • स्कूल जाने के नाम पर इधर-उधर भटकता और परीक्षा नहीं देता था।

  • पढ़ाई के बजाय मोबाइल में व्यस्त रहता था।

  • पिता ने परीक्षा की बात पर डांटा, तो छात्र नाराज होकर जंगल की ओर चला गया।

  • जामुन के पेड़ पर फांसी लगाकर जान दे दी।

परिजनों को हुआ शक, जंगल में मिला शव

  • छात्र के देर तक घर न लौटने पर परिजन जंगल की ओर खोज में निकले।

  • पेड़ पर शव लटका देख गांव में सनसनी फैल गई।

  • पुलिस को सूचना दी गई, मामले की जांच जारी है।

आत्महत्या की अन्य दो घटनाएं भी चौंकाने वाली

PGDCA छात्र ने भी लगाई थी फांसी

  • अंबिकापुर के सुभाष नगर में किराये के मकान में रहकर पढ़ाई कर रहा था।

  • आत्महत्या का कारण स्पष्ट नहीं, पुलिस जांच में जुटी।

14 साल की छात्रा ने खराब रिजल्ट के डर से दी जान

  • रोजगार कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी की बेटी थी।

  • पूरक आने से परेशान थी, परिजन समझा भी रहे थे, लेकिन फिर भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

दो विषय में पूरक आने पर छात्र ने की आत्महत्या

  • सूरजपुर जिले के विश्रामपुर का मामला।

  • रात को सोने गया, सुबह फंदे पर मिला शव।

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समस्या क्या है? – तनाव, लत और संवाद की कमी

  • लगातार बढ़ रहा स्क्रीन टाइम और मोबाइल की लत छात्रों की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर रही है।

  • पढ़ाई का दबाव, परिणाम का डर और अभिभावकों से खुलकर बात न कर पाना बड़ी वजहें हैं।

  • ज़रूरत है कि परिजन बच्चों से संवाद करें, उन्हें समझें और समय पर मानसिक सहयोग दें।

पुलिस और प्रशासन से अपील: मानसिक स्वास्थ्य पर दें ज़ोर

छत्तीसगढ़ में बढ़ते नाबालिगों की आत्महत्या के मामलों को देखते हुए मानसिक स्वास्थ्य, काउंसलिंग और पैरेंट्स की गाइडेंस बेहद जरूरी हो गई है।

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