बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से रेप के एक पुराने मामले में ऐतिहासिक फैसला आया है। करीब 2027 दिन (लगभग 6 साल) जेल में बिता चुके आरोपी तरुण सेन को बाइज्जत बरी कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने पीड़िता की उम्र को लेकर अभियोजन पक्ष की कमजोर दलीलों और पीड़िता द्वारा दिए गए सहमति के बयान के आधार पर आरोपी को दोषमुक्त करते हुए तत्काल रिहाई के आदेश दिए हैं।
2018 में दर्ज हुआ था केस, 2019 में मिली थी 10-10 साल की सजा
मामला 8 जुलाई 2018 का है, जब आरोपी तरुण सेन पर आरोप लगा कि उसने एक लड़की को बहला-फुसलाकर अपने साथ भागाकर शारीरिक संबंध बनाए। लड़की के पिता ने 12 जुलाई को रिपोर्ट दर्ज कराई और 18 जुलाई को पुलिस ने लड़की को बरामद कर लिया। 27 सितंबर 2019 को रायपुर की विशेष अदालत ने तरुण को IPC की धारा 376(2)(N) और POCSO की धारा 6 के तहत 10-10 साल की सजा सुनाई थी।
उम्र को लेकर पेश नहीं हो सके ठोस सबूत, स्कूल रजिस्टर पर टिकी थी पूरी कहानी
हाईकोर्ट में अपील के दौरान खुलासा हुआ कि स्कूल के दस्तावेजों में जन्मतिथि 10 अप्रैल 2001 दर्ज थी, लेकिन पीड़िता ने गवाही में खुद 10 अप्रैल 2000 को जन्म होने की बात कही। अभियोजन पक्ष कोई पुख्ता दस्तावेज, जैसे बर्थ सर्टिफिकेट या हड्डी की उम्र जांच (ऑसिफिकेशन टेस्ट) पेश नहीं कर पाया। इससे यह साबित नहीं हो सका कि घटना के वक्त लड़की नाबालिग थी।
पीड़िता का कोर्ट में बयान: ‘मैं अपनी मर्जी से गई थी, प्रेम संबंध थे’
कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीड़िता ने साफ कहा कि वह अपनी मर्जी से आरोपी के साथ गई थी और दोनों के बीच प्रेम संबंध थे। मेडिकल जांच में भी जबरदस्ती या हिंसा के कोई निशान नहीं मिले।
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सिर्फ स्कूल दस्तावेज पर्याप्त नहीं: हाईकोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस अरविंद वर्मा की एकल पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि सिर्फ स्कूल के दस्तावेजों के आधार पर नाबालिग होने का दावा नहीं ठहराया जा सकता, जब तक उसे बनाने वाले व्यक्ति की गवाही न हो। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह दुष्कर्म का नहीं बल्कि आपसी प्रेम और सहमति से भागने का मामला है।
कोर्ट का आदेश: सभी आरोपों से बरी कर तत्काल रिहा किया जाए आरोपी
हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए आरोपी को सभी धाराओं से दोषमुक्त कर दिया और तत्काल जेल से रिहा करने का आदेश दिया।