छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर ने तलाक से जुड़े एक अहम मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि आपसी सहमति से तलाक होने के बावजूद पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार नहीं किया जा सकता। जब तक तलाकशुदा महिला की दूसरी शादी नहीं हो जाती, वह पूर्व पति से भरण-पोषण पाने की हकदार है।
यह पति की नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी: हाईकोर्ट
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि महिला को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए आर्थिक सहायता देना पति की नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है। यह फैसला जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की एकल पीठ ने सुनाया।
मामला: मुंगेली जिले के दंपती से जुड़ा है केस
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शादी की तारीख: 12 जून 2020
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तलाक की तारीख: 20 फरवरी 2023 (आपसी सहमति से)
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पत्नी का आरोप: दहेज प्रताड़ना और घर से निकालने का आरोप
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भरण-पोषण की मांग: ₹15,000 प्रति माह (पति ट्रक ड्राइवर और किसान)
फैमिली कोर्ट का फैसला: महिला को ₹3,000 प्रति माह मिलेगा भत्ता
मुंगेली फैमिली कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए हर महीने ₹3,000 गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। इसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
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हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका, दिया महिला के पक्ष में निर्णय
हाईकोर्ट ने साफ कहा कि तलाक होने से पत्नी की जरूरतें खत्म नहीं होतीं। जब तक महिला पुनर्विवाहित नहीं होती, वह भरण-पोषण की हकदार रहती है। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पूरी तरह वैधानिक और न्यायसंगत करार दिया।