हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय के देवता और कर्मफल दाता कहा गया है। वे छाया और सूर्य के पुत्र हैं और नवग्रहों में उनका स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि शनिदेव की दृष्टि जितनी कठोर हो सकती है, उतनी ही उनकी कृपा भी जीवन को बदल सकती है। इसलिए शनि दोष को दूर करने और उनकी कृपा पाने के लिए विशेष उपाय बताए गए हैं, जिनमें सरसों का तेल अर्पण करना सबसे प्रमुख माना जाता है।
सरसों का तेल चढ़ाने की पौराणिक कथा
रामायण काल की एक कथा के अनुसार, जब भगवान राम की सेना लंका पर चढ़ाई कर रही थी, तब हनुमान जी पुल की सुरक्षा कर रहे थे। उसी समय शनिदेव युद्ध करने के उद्देश्य से हनुमान जी के समक्ष आए।
हनुमान जी के समझाने पर भी वे युद्ध को तैयार रहे। अंततः दोनों के बीच युद्ध हुआ जिसमें हनुमान जी ने शनिदेव को पराजित कर दिया।
इस युद्ध में घायल शनिदेव को तेज पीड़ा हो रही थी, तब हनुमान जी ने उनके शरीर पर सरसों का तेल लगाया, जिससे उन्हें राहत मिली।
इस घटना के बाद शनिदेव ने वचन दिया कि जो भक्त उन्हें सरसों का तेल चढ़ाएगा, उसके कष्ट दूर होंगे और वह उनकी कृपा का पात्र बनेगा।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण: शनि दोष को करता है शांत
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार:
🔹 सरसों का तेल शनिदेव से जुड़ा हुआ माना गया है।
🔹 इसका काला रंग शनि के प्रिय रंगों में से है।
🔹 तेल की गर्म तासीर शनिदेव की ठंडी और स्थिर प्रकृति के साथ संतुलन बनाती है।
🔹 सरसों का तेल चढ़ाने से साढ़ेसाती, ढैय्या और अन्य शनि दोष के प्रभावों में कमी आती है।
धार्मिक महत्व: कष्ट निवारण और सकारात्मक ऊर्जा का संचार
धार्मिक मान्यता के अनुसार:
✅ शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करने से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
✅ घर और कार्यस्थल में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
✅ शनिदेव की कृपा से जीवन में धन, यश और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।