CGMSC Scam: 50.46 करोड़ की वस्तुएं 103 करोड़ में खरीदी गईं, 341 करोड़ के फर्जीवाड़े का खुलासा…

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CGMSC Scam: Goods worth Rs 50.46 crore were purchased for Rs 103 crore, fraud of Rs 341 crore revealed...

सरकारी अफसरों और कंपनियों की मिलीभगत से जनता के पैसों की खुली लूट

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में बड़ा घोटाला सामने आया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की रिपोर्ट के अनुसार, मोक्षित कॉर्पोरेशन नामक कंपनी ने सरकारी अफसरों की मिलीभगत से 341 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है। इस घोटाले में मशीनों की आपूर्ति के बिना ही भुगतान कर देना, फर्जी दस्तावेज़ बनाना और तय कीमत से कई गुना अधिक दर पर खरीदारी करना शामिल है।

50.46 करोड़ के सामान की खरीद 103 करोड़ में

मोक्षित कॉर्पोरेशन ने डायसिस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से मेडिकल रीजेंट्स/कंज्यूमेबल्स की खरीद की, जिनकी अधिकतम खुदरा कीमत (MRP) 50.46 करोड़ थी, लेकिन इन्हें CGMSC को 103.10 करोड़ रुपये में सप्लाई किया गया। इससे सरकारी खजाने को सीधे 52.64 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

फर्जी इंस्टॉलेशन सर्टिफिकेट से 44 करोड़ की पेमेंट

EMIS पोर्टल पर बिना किसी भौतिक इंस्टॉलेशन के झूठे इंस्टॉलेशन प्रमाणपत्र अपलोड किए गए। इसी आधार पर 44.01 करोड़ रुपये की राशि मोक्षित को दे दी गई। जांच में पाया गया कि 180 से अधिक उपकरणों की इंस्टॉलेशन नहीं की गई और 250 मशीनें लॉक हालत में पाई गईं।

EDTA ट्यूब में भारी हेराफेरी

2 से 8.50 रुपये में बिकने वाली EDTA ट्यूब को 23.52 और 30.24 रुपये प्रति नग के भाव पर खरीदा गया। इससे शासन को लगभग 2 करोड़ रुपये की चपत लगी।

सेमी-ऑटोमेटेड रीजेंट्स में भी 18.60 करोड़ की गड़बड़ी

सेमी-ऑटोमेटेड मशीनों के रीजेंट्स की MRP 97.03 करोड़ थी, जिसे मोक्षित ने 115.64 करोड़ में बेचा। इससे 18.60 करोड़ की अतिरिक्त हानि हुई।

डेमोस्ट्रेशन में भी गड़बड़ी

मोक्षित ने अन्य कंपनियों के उपकरणों को अपना बताकर डेमो दिखाया। ईमेल भेजने की तारीख और डेमो की तारीख में इतना कम अंतर था कि हरियाणा से रायपुर तक उपकरण लाना असंभव था। इससे यह स्पष्ट है कि सब कुछ पहले से तय था।

तीन फर्मों के टेंडर में असामान्य समानता

तीनों फर्म – मोक्षित कॉर्पोरेशन, शारदा इंडस्ट्रीज और रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर – के टेंडर दस्तावेजों में रेट, लेआउट, भाषा और टाइपिंग पैटर्न तक एक जैसे थे। इससे यह प्रमाणित होता है कि टेंडर फिक्सिंग की गई थी।

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121.25 करोड़ के रीजेंट्स की खरीद में अनियमितता

पूर्व टेंडर शर्तों में जहाँ उपकरणों के साथ फ्री रीजेंट्स देने की बात थी, नई टेंडर शर्तों से यह बिंदु जानबूझकर हटा दिया गया, जिससे शासन को सीधा नुकसान हुआ।

37.04 करोड़ की मशीनें बिना टेंडर खरीदी गईं

15वें वित्त आयोग के तहत लगभग 38.33 करोड़ रुपये की CBC मशीनें बिना किसी ओपन टेंडर प्रक्रिया के खरीदी गईं, जिससे पारदर्शिता की घोर अनदेखी हुई।

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