युक्तियुक्तकरण में भारी गड़बड़ी! शिक्षकों की काउंसलिंग रद्द, दोबारा होगी पोस्टिंग, अफसरों पर उठे सवाल…

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युक्तियुक्तकरण में भारी गड़बड़ी! शिक्षकों की काउंसलिंग रद्द, दोबारा होगी पोस्टिंग, अफसरों पर उठे सवाल...

छत्तीसगढ़ में अतिशेष शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया (युक्तियुक्तकरण) को लेकर अफसरों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जगदलपुर में माध्यमिक शिक्षकों की काउंसलिंग के बाद जारी पदस्थापना आदेश को शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। अब 8 जून 2025 को दोबारा ओपन काउंसलिंग कराई जाएगी।

कभी ऑर्डर जारी, कभी रद्द… अफसर खुद कंफ्यूज!

राज्यभर में अतिशेष शिक्षकों की सूची को लेकर अफसरों की उलझन साफ झलक रही है—

  • कहीं सूची निरस्त हो रही है

  • कहीं पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया रद्द

  • तो कहीं अफसरों पर सस्पेंशन की तलवार

जगदलपुर में तो काउंसलिंग के बाद जारी सभी पदस्थापना आदेशों पर रोक लगा दी गई है।

अब 8 जून को दोबारा होगी काउंसलिंग

बस्तर ज़िला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी आदेश के अनुसार:

  • 8 जून 2025, सुबह 10:00 बजे

  • स्थान: कलेक्टरेट परिसर, जगदलपुर

  • प्रक्रिया: विषयवार ओपन काउंसलिंग के जरिए पुनः पदस्थापना

पहले भी आई थीं शिकायतें, फिर भी नजरअंदाज कर दी गईं

शिक्षकों ने पहले ही गड़बड़ियों को लेकर कई बार आवाज़ उठाई थी, लेकिन:

  • अफसरों ने बिना जांच-पड़ताल के प्रक्रिया पूरी की

  • अब मामला कोर्ट और आला अधिकारियों तक पहुंच गया है

  • इसके बाद जाकर आदेश वापस लिया गया है

केदार जैन की मांग – सभी दोषी अफसरों पर हो कार्रवाई

साझा मंच के प्रांतीय संचालक केदार जैन ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:

“यह पूरी प्रक्रिया नियमों की अनदेखी और अफसरों की मनमानी का नतीजा है। दोषियों पर बिना देर किए कार्रवाई होनी चाहिए।”

जैन ने यह भी कहा कि ऐसी गड़बड़ियां केवल बस्तर ही नहीं, बल्कि अन्य जिलों में भी देखने को मिल रही हैं। उन्होंने पूरे प्रदेश में काउंसलिंग प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की है।

साझा मंच का ‘पोल खोल आंदोलन’ और बढ़ती प्रशासनिक बेचैनी

केदार जैन का आरोप है कि:

  • ना सेटअप गाइडलाइन का पालन हुआ

  • ना पारदर्शिता रखी गई

  • अब जब ‘पोल खोल आंदोलन’ का ऐलान हुआ है

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  • तो अफसर खुद को बचाने के लिए प्रक्रिया रद्द कर रहे हैं

उन्होंने यह भी दावा किया कि कई शिक्षकों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिससे अफसरों की परेशानी और बढ़ गई है।

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