भारत में जातिगत जनगणना 2027 से होगी शुरू- जानिए क्या बदलेगा? इसके कौन-कौन से फायदे-नुकसान गिनाए गए?…

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भारत में जातिगत जनगणना 2027 से होगी शुरू- जानिए क्या बदलेगा? इसके कौन-कौन से फायदे-नुकसान गिनाए गए?...

भारत में जातिगत जनगणना को लेकर एक बड़ा कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार ने 1 मार्च 2027 से जाति आधारित जनगणना शुरू करने का फैसला लिया है। इससे जुड़ी अधिसूचना जारी हो चुकी है और पहली बार जाति का प्रश्न आधिकारिक रूप से जनगणना में जोड़ा जाएगा।

जातिगत जनगणना का ऐलान कब और क्यों हुआ?

30 अप्रैल 2025 को कैबिनेट की बैठक में केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया। 2011 के बाद से भारत में जनगणना नहीं हुई है। 2021 में इसे कराया जाना था, लेकिन कोविड महामारी के चलते इसे टाल दिया गया। अब 2027 की जनगणना में जाति से संबंधित जानकारी भी एकत्र की जाएगी।

जातिगत जनगणना क्या है और क्यों ज़रूरी है?

जातिगत जनगणना का मतलब है – देश के हर नागरिक की जाति का आधिकारिक रिकॉर्ड बनाना। इससे ये पता चलेगा कि कौन सी जाति की जनसंख्या कितनी है, उनकी शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक-आर्थिक स्थिति क्या है।

इससे सरकार को पॉलिसी प्लानिंग, रिजर्वेशन रिव्यू, और विकास योजनाओं को टारगेट करने में मदद मिलेगी।

जातिगत जनगणना के लाभ – क्या बदल जाएगा?

  • शिक्षा, नौकरी और सामाजिक सेवाओं में उचित प्रतिनिधित्व तय हो सकेगा।

  • OBC, SC, ST और अन्य वर्गों की हकीकत सामने आएगी।

  • सरकार जरूरतमंद वर्गों को फोकस्ड योजनाएं दे सकेगी।

  • जातीय भेदभाव को दूर करने की दिशा में मदद मिल सकती है।

जाति जनगणना का विरोध – क्या हैं तर्क?

  • जाति के आधार पर समाज में विभाजन और वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा मिल सकता है।

  • कुछ का मानना है कि इससे आरक्षण की सीमा (50%) को चुनौती मिल सकती है।

  • यह समानता की अवधारणा को कमजोर कर सकती है।

  • सामाजिक एकता की जगह जातीय पहचान को अधिक महत्व मिल सकता है।

जनगणना में पूछे जाएंगे ये प्रमुख सवाल

इस बार लगभग 30 सवाल पूछे जाएंगे, जिनमें शामिल होंगे:

  • व्यक्ति का नाम, जन्मतिथि, लिंग

  • माता-पिता और परिवार प्रमुख का नाम

  • वैवाहिक स्थिति

  • स्थायी और वर्तमान पता

  • जाति व उपजाति की जानकारी

  • शिक्षा और पेशे से जुड़ी जानकारी

  • विशेष रूप से जाति आधारित पहचान

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जातिगत जनगणना का इतिहास

  • ब्रिटिश शासन में आखिरी जातिगत जनगणना 1931 में हुई थी।

  • आज़ादी के बाद 1951 से 2001 तक की जनगणनाओं में जातियों को रिकॉर्ड नहीं किया गया

  • 2011 में सामाजिक-आर्थिक जाति सर्वे हुआ, पर उसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं हुए।

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