रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में ईओडब्ल्यू (EOW) और एसीबी (ACB) की जांच अब निर्णायक मोड़ पर है। इस बहुस्तरीय घोटाले में 29 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ 2300 पन्नों की चतुर्थ पूरक चार्जशीट रायपुर की विशेष अदालत में पेश की गई है, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है।
कोर्ट का कड़ा रुख: 20 अगस्त तक पेश होने का आदेश
ईओडब्ल्यू द्वारा समन भेजे जाने के बावजूद, कोई भी आरोपी अधिकारी कोर्ट में पेश नहीं हुआ। इसके चलते विशेष अदालत ने सभी 29 अधिकारियों को 20 अगस्त तक पेश होने का नोटिस जारी किया है। अनुपस्थित रहने की स्थिति में कानूनी कार्रवाई और तेज़ हो सकती है।
कैसे हुआ 3200 करोड़ तक का घोटाला?
-
जांच में सामने आया है कि 2019 से 2023 के बीच राज्य के 15 जिलों में “बी-पार्ट देसी शराब” की अवैध बिक्री की गई।
-
यह शराब सरकारी दुकानों से बिना एक्साइज ड्यूटी चुकाए बेची जाती थी और उसे वैध स्टॉक में मिलाकर बड़े पैमाने पर सिंडीकेट के ज़रिए सप्लाई किया जाता था।
-
पहले इस घोटाले का अनुमान 2174 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 3200 करोड़ रुपये से ज़्यादा बताया जा रहा है।
अब तक 13 गिरफ्तारियां और VIP नाम शामिल
अब तक 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें ये प्रमुख नाम शामिल हैं:
-
अनिल टुटेजा (IAS)
-
अनवर ढेबर (व्यवसायी)
-
अरुणपति त्रिपाठी (पूर्व आबकारी आयुक्त)
-
कवासी लखमा (पूर्व मंत्री)
-
विजय भाटिया (व्यवसायी)
जांच में सामने आया है कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा के संरक्षण में ये संगठित अवैध तंत्र फल-फूल रहा था।
EOW ने खोले बड़े राज
-
करीब 60.5 लाख पेटियां अवैध शराब बेची गईं।
-
लखमा को इस नेटवर्क से लगभग 64 करोड़ रुपये का व्यक्तिगत लाभ हुआ।
-
पैसे का उपयोग परिवारिक और निजी हितों में किया गया।
राज्य सरकार 22 अधिकारियों को करेगी सस्पेंड
राज्य सरकार अब 22 आरोपियों को निलंबित करने की तैयारी कर रही है। इससे ये स्पष्ट है कि घोटाले के सिंडीकेट के कई चेहरे और नाम अभी और सामने आ सकते हैं।