CG Breaking News: छिंदारी डेम में बड़ा घोटाला! अधूरे कामों के लिए खर्च किए 41 लाख, ऐसे खुली पोल…

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CG Breaking News: छिंदारी डेम में बड़ा घोटाला! अधूरे कामों के लिए खर्च किए 41 लाख, ऐसे खुली पोल...

खैरागढ़ में ईको-पर्यटन के नाम पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश

छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ के छिंदारी गांव में रानी रश्मि देवी सिंह जलाशय को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के नाम पर भारी भ्रष्टाचार सामने आया है। विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा के नेतृत्व में संचालित ‘मिशन संडे’ टीम ने रविवार को स्थल का निरीक्षण किया, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए।

41 लाख की स्वीकृति, मगर अधूरे और घटिया काम

वन विभाग को ईको-पर्यटन परियोजना के तहत ₹41 लाख की राशि स्वीकृत हुई थी। हालांकि, ‘मिशन संडे’ की टीम के अनुसार ज़्यादातर निर्माण कार्य या तो अधूरे हैं या बहुत ही घटिया गुणवत्ता के हैं।

  • किचन शेड, मचान और कुर्सियां बांस और सस्ती लकड़ी से तैयार की गई हैं।

  • सोलर लाइटिंग और बोटिंग की कोई व्यवस्था नहीं है।

  • स्थल समतलीकरण भी अधूरा पड़ा है।

कागज़ों में सब कुछ पूरा, ज़मीन पर नदारद

स्थानीय ग्रामीणों ने भी शिकायत की कि अधिकारियों ने केवल कागज़ों में काम पूरा दिखाकर भुगतान ले लिया। असल में ज़मीन पर विकास जैसा कुछ भी नहीं हुआ। मिशन संडे टीम का कहना है कि कुल खर्च 10 से 12 लाख रुपये से अधिक का नहीं है, जबकि विभाग ने 41 लाख की लागत दर्शाई है।

कार्यों की हकीकत एक नज़र में:

प्रस्तावित कार्य वर्तमान स्थिति
स्थल समतलीकरण अधूरा
किचन शेड घटिया निर्माण
बोर खनन अस्पष्ट
टेंट-मचान अधूरे और कमजोर
सोलर लाइटिंग गायब
बोटिंग व्यवस्था नगण्य
सौंदर्यीकरण नहीं के बराबर
बैठने की व्यवस्था सस्ती सामग्री से निर्मित

विधायक यशोदा वर्मा का बड़ा बयान

विधायक यशोदा वर्मा ने निरीक्षण के बाद कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा, “41 लाख खर्च होने के बाद भी काम अधूरे क्यों हैं?” उन्होंने कहा कि यह एक स्पष्ट भ्रष्टाचार का मामला है और इसे वह विधानसभा में उठाएंगी। साथ ही वन मंत्री से सोशल ऑडिट की भी मांग करेंगी।

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फर्जी एनजीओ और कोटेशन का भी आरोप

मिशन संडे संयोजक मनराखन देवांगन ने भी सवाल उठाए कि बिना ईमानदारी से मूल्यांकन किए फर्जी कोटेशन और एक नवीन एनजीओ को लाभ पहुंचाने के लिए यह सारा घोटाला किया गया है। उन्होंने निष्पक्ष जांच की मांग की है।

जनहित की योजनाओं पर सवाल

यह मामला केवल एक परियोजना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे सरकारी योजनाएं कागजों में सिमट जाती हैं। यदि ऐसी परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं लाई गई, तो जनता का विश्वास सरकार और तंत्र दोनों से उठ जाएगा।

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