रायपुर। भारत सरकार की भारतमाला परियोजना के तहत 324 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले का खुलासा होने के बाद सरकार ने तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू को निलंबित कर दिया है। लेकिन, घोटाले के असली सूत्रधार माने जा रहे तत्कालीन तहसीलदार शशिकांत के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
🔹 तहसीलदार पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
इस घोटाले के दौरान 2019 से 2021 तक अभनपुर के तहसीलदार शशिकांत रहे। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, मुआवजा घोटाले की पूरी योजना शशिकांत ने तैयार की थी। उन्होंने 32 खसरों को 247 छोटे टुकड़ों में विभाजित किया, जिससे ज़मीन अधिग्रहण के बदले लोगों को आठ गुना अधिक मुआवजा दिलाया जा सके।
🔹 प्रमोशन पाकर बने डिप्टी कलेक्टर!
जिन पर घोटाले की मुख्य जिम्मेदारी थी, उन्हें सजा देने के बजाय 2021 में प्रमोशन देकर डिप्टी कलेक्टर बना दिया गया। फिलहाल, वे कोरबा में पदस्थ हैं। स्थानीय प्रशासन और राजस्व विभाग को सब कुछ मालूम होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
🔹 भूमाफियाओं ने कैसे किया खेल?
- बड़े सेठ-साहूकारों और भूमाफियाओं ने प्रतिबंध के बावजूद जमीनों का फर्जी बंटवारा किया।
- पत्नी, बेटे-बेटी और नौकरों के नाम ज़मीन कराकर आठ गुना मुआवजा हासिल किया।
- किसानों से एग्रीमेंट कर जमीन खरीद ली और अलग से बैंक खाते खुलवाकर पैसा ट्रांसफर कराया।
🔹 महासमुंद के बैंक खातों में ट्रांसफर हुआ पैसा
इस घोटाले में किसानों के नाम पर महासमुंद के ICICI बैंक में खाते खुलवाए गए। इसके बाद भूमाफियाओं ने किसानों के खातों में मुआवजे की रकम डलवाई और बाद में उसे अपने निजी खातों में ट्रांसफर कर लिया।
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🔹 अब तक FIR क्यों नहीं?
324 करोड़ रुपये के इस घोटाले में अब तक किसी भी अधिकारी या माफिया के खिलाफ FIR दर्ज नहीं की गई है। जबकि, अन्य सरकारी विभागों में छोटे-मोटे मामलों पर भी तुरंत शिकायत दर्ज कराई जाती है। सवाल उठता है कि क्या राजस्व विभाग घोटाले में शामिल बड़े नामों को बचाने की कोशिश कर रहा है?