बलौदाबाजार, छत्तीसगढ़: कसडोल ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोट में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए किसी भी व्यक्ति ने नामांकन दाखिल नहीं किया। दरअसल, ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है, और इसके लिए उन्होंने पूरे गांव में मुनादी भी कराई। गांववालों का कहना है कि वे क्रेशर स्टोन खदान को बंद करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि खदान की गहराई बढ़ने से पूरे इलाके का जलस्तर गिर चुका है, जिससे जल संकट और कृषि संकट जैसी समस्याएं पैदा हो गई हैं।
क्या है पूरे मामले की कहानी?
ग्रामीणों का आरोप है कि खदान के कारण उनका जलस्तर काफी नीचे चला गया है, जिससे पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसके साथ ही खदान के कारण खेती भी प्रभावित हुई है, क्योंकि खेतों में पानी नहीं रुकने से कृषि उत्पादन में कमी आई है। इसके अलावा, खदान के पास बसे गांवों में धूल की परत जम गई है, जिससे सैकड़ों हेक्टेयर भूमि बंजर हो गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने बार-बार शासन-प्रशासन से शिकायत की, लेकिन उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। गांववाले यह मानते हैं कि प्रशासन और खदान संचालक मिलकर उनकी परेशानियों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
ग्रामीणों की मांग: खदान को बंद किया जाए!
ग्रामीणों ने पंचायत चुनाव का बहिष्कार करके प्रशासन को यह संदेश देने की कोशिश की है कि नेताओं और अफसरों की तानाशाही से लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुकसान हो रहा है। उनका कहना है कि जब तक क्रेशर स्टोन खदान को बंद नहीं किया जाता, वे चुनाव में भाग नहीं लेंगे।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जब प्रशासन को गांववालों के बहिष्कार का पता चला, तो अफसर मौके पर पहुंचे, लेकिन खदान बंद करने के बजाय प्रशासन ने केवल मान-मन्नौवल की कोशिश की। इस पर ग्रामीणों ने कोई समझौता करने से इंकार कर दिया और चुनाव में भाग लेने का विरोध जारी रखा।
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समस्याओं का गंभीर असर
ग्रामीणों का कहना है कि खदान की गहराई बढ़ने से जल स्तर में गिरावट आई है, जिससे पेयजल और निस्तार की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसके साथ ही कृषि उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि भारी विस्फोटकों के कारण उनके मकान भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, और वे अक्सर हादसों के डर में जीते हैं।