🔹 संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करार
🔹 महिला की गरिमा और मौलिक अधिकारों की रक्षा पर जोर
🔹 पति की याचिका खारिज, कोर्ट ने दिए कड़े निर्देश
पति की याचिका खारिज, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
बिलासपुर हाईकोर्ट ने पति द्वारा पत्नी के कौमार्य परीक्षण की मांग को असंवैधानिक करार देते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह की मांग महिलाओं की गरिमा और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के खिलाफ है।
क्या था मामला?
✅ रायगढ़ पारिवारिक न्यायालय में जुलाई 2024 में एक महिला ने ₹20,000 प्रतिमाह भरण-पोषण की मांग करते हुए मामला दायर किया था।
✅ महिला ने पति पर नपुंसकता का आरोप लगाया, जबकि पति ने पत्नी पर अवैध संबंधों का आरोप लगाते हुए कौमार्य परीक्षण की मांग कर दी।
✅ पारिवारिक न्यायालय ने पति की याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट में अपील की थी।
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हाईकोर्ट का अहम फैसला
✅ न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि पति अपनी नपुंसकता साबित करने के लिए खुद का मेडिकल परीक्षण करा सकता है, लेकिन पत्नी पर इस तरह का आरोप थोपना अवैध है।
✅ कोर्ट ने महिला की गरिमा और मौलिक अधिकारों की रक्षा पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी महिला का कौमार्य परीक्षण असंवैधानिक और अवैध है।