नई दिल्ली/रायपुर। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 को भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे प्रभावी हथियार माना जाता है। यह कानून नागरिकों को सरकारी कार्यप्रणाली पर नजर रखने, जवाबदेही तय करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का अधिकार देता है। लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा किए गए संशोधनों ने RTI कानून की शक्ति को कमजोर कर दिया है। इसके चलते भ्रष्टाचार उजागर करने में मुश्किलें आ सकती हैं और सरकारी जवाबदेही पर असर पड़ सकता है।
RTI संशोधन: कब और कैसे हुए बदलाव?
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22 जुलाई 2019: केंद्र सरकार ने सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 लोकसभा में पेश किया।
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25 जुलाई 2019: विधेयक राज्यसभा में पारित हुआ।
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1 अगस्त 2019: राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन गया।
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24 अक्टूबर 2019: RTI संशोधन आधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया।
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अगस्त 2023: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP Act, 2023) के तहत एक और बड़ा संशोधन किया गया, जिससे सरकारी अधिकारियों की निजी जानकारी को RTI से बाहर कर दिया गया।
संशोधन के प्रमुख बदलाव
🔹 1. सूचना आयुक्तों की स्वायत्तता समाप्त
पहले सूचना आयुक्तों का वेतन और कार्यकाल मुख्य निर्वाचन आयुक्त के बराबर था। अब केंद्र सरकार को उनकी सेवा शर्तें तय करने का अधिकार मिल गया है, जिससे उनकी स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।
🔹 2. व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा असंभव
धारा 8(1)(j) में संशोधन के तहत अब किसी भी सरकारी अधिकारी या व्यक्ति की निजी जानकारी RTI के तहत प्राप्त नहीं की जा सकेगी, भले ही वह जनहित में हो।
🔹 3. राज्य सूचना आयोग पर केंद्र का नियंत्रण
राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति और कार्यकाल अब केंद्र सरकार के अधीन आ गया है, जिससे राज्यों की स्वायत्तता पर सवाल उठ रहे हैं।
🔹 4. डिजिटल डेटा संरक्षण और RTI की सीमा
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत सरकारी अधिकारियों की जानकारी गोपनीय कर दी गई है, जिससे RTI के माध्यम से भ्रष्टाचार उजागर करने में मुश्किलें आ सकती हैं।
सरकार का पक्ष और विरोधी तर्क
✅ सरकार का दावा:
सरकार का कहना है कि ये संशोधन प्रशासनिक सुधार और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं।
❌ विपक्ष और RTI कार्यकर्ताओं का आरोप:
विपक्षी दल और RTI कार्यकर्ता इसे पारदर्शिता खत्म करने और भ्रष्टाचार को छिपाने की कोशिश बता रहे हैं।
कौन होगा लाभ में, कौन होगा नुकसान में?
लाभ किसे होगा?
✔️ भ्रष्ट अधिकारी और राजनेता – अब वे अपनी संपत्तियों और विवादित फैसलों की जानकारी छिपा सकते हैं।
✔️ निजी कंपनियां – भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जानकारी सार्वजनिक नहीं हो पाएगी।
✔️ सत्ताधारी सरकार – अब सरकार पर RTI के जरिए निगरानी रखना मुश्किल हो जाएगा।
नुकसान किसे होगा?
– आम जनता – सरकारी योजनाओं की जानकारी पाना मुश्किल होगा।
– पत्रकार और RTI कार्यकर्ता – बड़े घोटालों और भ्रष्टाचार को उजागर करने में कठिनाई होगी।
– न्यायपालिका – अदालतें सरकारी मामलों की निष्पक्ष जांच के लिए आवश्यक जानकारी नहीं ले पाएंगी।
RTI कानून में बदलाव से बड़ा खतरा?
RTI संशोधन से सरकारी जवाबदेही और पारदर्शिता पर असर पड़ेगा। यदि नागरिकों को सरकारी फैसलों की जानकारी नहीं मिलेगी, तो भ्रष्टाचार को रोकना असंभव हो जाएगा। RTI कार्यकर्ता और नागरिक संगठनों का मानना है कि सरकार को इस कानून की मूल भावना को पुनः स्थापित करना चाहिए ताकि लोकतंत्र मजबूत बना रहे।