13 मई से शुरू हुआ ज्येष्ठ माह, 11 जून तक रहेगा पुण्य का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की शुरुआत 13 मई से हो चुकी है और 11 जून 2024 तक यह शुभ काल चलेगा। भीषण गर्मी में दान-पुण्य और सेवा कार्य का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस महीने में दान करने से पाप नष्ट होते हैं और ग्रह दोष शांत होते हैं।
ज्येष्ठ माह में दान का महत्व
इस पवित्र माह में निम्नलिखित चीजों का दान करना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है:
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छाता, चप्पल, जलपात्र और अन्न का दान
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राहगीरों के लिए प्याऊ की व्यवस्था
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शीतल पेय व सत्तू का वितरण
इन सेवाभावों से न केवल सामाजिक भलाई होती है, बल्कि कुंडली के ग्रह भी अनुकूल होते हैं।
ज्येष्ठ माह के प्रमुख व्रत और पर्व 2024
23 मई – अपरा एकादशी
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यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है।
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इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग बन रहा है, जिससे व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
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व्रती व्यक्ति को पापों से मुक्ति और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
26 मई – वट सावित्री व्रत
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सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए यह व्रत करती हैं।
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सोमवार के दिन यह व्रत पड़ने से सोमवती अमावस्या का भी पुण्य फल मिलता है।
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महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं, जिसमें त्रिदेवों का वास माना जाता है।
5 जून – गंगा दशहरा
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गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण की तिथि है।
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इस दिन गंगा स्नान से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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सत्तू, पंखा और गुड़ का दान शुभ माना गया है।
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इस बार उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र और सिद्ध रवियोग का संयोग भी बन रहा है।
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6 जून – निर्जला एकादशी
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यह सबसे कठिन एकादशी मानी जाती है, जिसमें अन्न और जल का त्याग किया जाता है।
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इसे करने से सालभर की 24 एकादशियों का फल एक साथ मिलता है।
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भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और मंत्र जाप इस दिन आवश्यक है।