बिलासपुर, छत्तीसगढ़ — गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में दुष्कर्म का शिकार हुई एक नाबालिग छात्रा के गर्भवती होने के बाद हालात गंभीर हो गए। डॉक्टरों ने चेताया कि यदि गर्भपात जल्द नहीं हुआ तो उसकी जान को खतरा हो सकता है। इस पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत गर्भपात की अनुमति दे दी।
हाई कोर्ट का फैसला:
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विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में सुरक्षित गर्भपात का आदेश
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पीड़िता की पहचान पूर्णतः गोपनीय रखने के निर्देश
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प्रक्रिया के दौरान मानसिक एवं शारीरिक जांच अनिवार्य
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भ्रूण का डीएनए सुरक्षित रखने का स्पष्ट निर्देश
10 सप्ताह 4 दिन की गर्भवती थी पीड़िता
मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता 10 हफ्ते और 4 दिन की गर्भवती थी, और भ्रूण जीवित अवस्था में था। कोर्ट में मामला लंबित होने और मेडिकल अनुमति न मिलने की वजह से पहले डॉक्टरों ने अबॉर्शन करने से इनकार किया था। लेकिन जैसे-जैसे स्वास्थ्य जटिलताएं बढ़ीं, मामला गंभीर हो गया।
आरोपी पर दर्ज हुईं गंभीर धाराएं
पीड़िता ने परिजनों के साथ थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी पर BNS की धारा 64(1), 64(2), 64(2)(F), 64(2)(M), 365(2) और POCSO एक्ट की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया है।
सीएमएचओ रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट का निर्णय
हाई कोर्ट ने CMHO से रिपोर्ट मंगवाई थी जिसमें बताया गया कि गर्भपात ही सुरक्षित विकल्प है। कोर्ट ने आदेश दिया कि पीड़िता को अभिभावक के साथ जिला अस्पताल भेजा जाए, जहां विशेषज्ञों की टीम आगे की प्रक्रिया पूरी करेगी।