दुर्ग, छत्तीसगढ़: एक दर्दनाक घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया, जब एक नवजात बच्ची को झाड़ियों में लावारिस हालत में पाया गया। यह घटना अमलेश्वर के ग्रीनअर्थ सिटी के पास अमलेश्वरडीह रोड की है, जहां दो दिन की मासूम को एक झोले में बंद कर झाड़ियों में फेंक दिया गया था।
कैसे मिला मासूम का सहारा?
बुधवार तड़के मॉर्निंग वॉक पर निकले एम.एम. जैन को झाड़ियों से हल्की आवाजें सुनाई दीं। जब उन्होंने पास जाकर देखा, तो एक झोले में नवजात बच्ची थी। तुरंत उन्होंने अपने साथी विकास पंसारे और नारायण शर्मा को बुलाया और डायल 112 पर कॉल कर पुलिस और एंबुलेंस को सूचना दी।
बच्ची की हालत कैसी है?
मासूम को तुरंत आंबेडकर अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे एनआईसीयू में रखा गया है। डॉक्टरों के अनुसार बच्ची स्वस्थ है और उचित देखभाल दी जा रही है।
पुलिस कर रही मां-बाप की तलाश
अमलेश्वर थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। थाना प्रभारी ममता शर्मा ने बताया कि इलाके में कोई अस्पताल नहीं है, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि बच्ची को कहां से लाया गया। पुलिस आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है और बच्ची को फेंकने वाले निर्दयी माता-पिता की तलाश की जा रही है।
हो सकती थी बड़ी अनहोनी
बच्ची को झोले में डालकर फेंका गया था, जिससे आवारा कुत्तों या किसी अन्य जानवर के हमले का खतरा था। लेकिन समय रहते स्थानीय लोगों की सतर्कता से इस मासूम की जान बच गई।
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समाज के लिए सोचने का वक्त!
यह घटना समाज के उस कड़वे सच को उजागर करती है, जहां कन्या भ्रूण हत्या और नवजात बच्चियों को फेंकने की घटनाएं अब भी हो रही हैं। हमें सोचने की जरूरत है कि आखिर ऐसी निर्दयी मां बनने की नौबत क्यों आती है? क्या बेटी होना अभिशाप है?