रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के तहत फर्जी दावों पर कड़ी कार्रवाई की है। रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में 28 अस्पतालों का निरीक्षण करने के बाद सरकार ने 15 अस्पतालों का पंजीयन एक वर्ष के लिए निरस्त कर दिया।
इसके अलावा,
✅ 4 अस्पतालों को 6 महीने के लिए निलंबित किया गया।
✅ 4 अस्पतालों का पंजीयन 3 महीने के लिए निलंबित किया गया।
✅ 5 अस्पतालों को चेतावनी पत्र जारी किया गया।
फर्जी दावों की जांच कैसे हुई?
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) की नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट समय-समय पर संदिग्ध दावों की जांच के लिए राज्यों को ट्रिगर भेजती है। छत्तीसगढ़ शासन ने इसी आधार पर विस्तृत निरीक्षण के निर्देश दिए थे।
📌 विशेष बैठक में संदिग्ध अस्पतालों की पहचान की गई।
📌 रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में निरीक्षण अभियान चलाया गया।
📌 प्रशासनिक और चिकित्सा अधिकारियों की टीम ने हर दिन 2 अस्पतालों की गहन जांच की।
📌 अनियमितताओं के प्रमाण मिलने के बाद सभी 28 अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
📌 स्पष्टीकरण संतोषजनक न मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की गई।
सरकार का सख्त रुख – फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस कार्रवाई को जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया और कहा कि आयुष्मान योजना का लाभ केवल पात्र लोगों तक ही पहुंचेगा।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने भी स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य योजनाओं की पारदर्शिता को लेकर पूरी तरह सतर्क है। उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में भी ऐसे अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
आयुष्मान योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा: छत्तीसगढ़ जिले के इन 4 अस्पतालों को नोटिस…
फर्जी बिलिंग और अनियमितताओं पर रोक क्यों जरूरी?
🔹 गरीब मरीजों के लिए बनी योजनाओं का सही लाभ सुनिश्चित करना।
🔹 स्वास्थ्य क्षेत्र में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखना।
🔹 फर्जी बिलिंग से सरकारी योजनाओं पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम करना।
🔹 स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावी और भरोसेमंद बनाना।