छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग ने स्कूलों में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को पुनः शुरू करने का आदेश जारी किया है। स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव द्वारा जारी आदेश में पूर्व के नियमों को यथावत रखा गया है — जिसमें पहले स्कूलों, फिर शिक्षकों के युक्तिकरण की व्यवस्था है।
पहले भी हुआ था विरोध, सरकार ने रोकी थी प्रक्रिया
पूर्व में जब यह प्रक्रिया अपनाई गई थी, तब छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ ने इसका तीखा विरोध किया था। संघ ने शिक्षकों के हित में अपनी आपत्तियां सरकार के सामने रखीं थी। उस समय शिक्षा सचिव ने आश्वासन दिया था कि जो प्रावधान शिक्षकों के हित में नहीं हैं, उन्हें हटाया जाएगा। इस कारण से ही उस समय प्रक्रिया रोक दी गई थी।
अब एक बार फिर उन्हीं प्रावधानों को लागू करने की कोशिश की जा रही है, जिसे संघ अनुचित और नुकसानदायक बता रहा है।
पदोन्नति पहले, युक्तियुक्तकरण बाद में: शिक्षक संघ की मांग
संघ के प्रदेशाध्यक्ष केदार जैन सहित प्रांतीय पदाधिकारियों ममता खालसा, ओमप्रकाश बघेल, अर्जुन रत्नाकर, गिरजा शंकर शुक्ला, माया सिंह व अन्य सदस्यों ने सरकार से साफ शब्दों में यह मांग की है कि—
“प्रधानाचार्य, व्याख्याता, प्रधानपाठक और शिक्षक पदों पर वर्षों से लंबित पदोन्नति पहले की जाए। इसके बाद ही युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया लागू हो।”
संघ का मानना है कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो इससे शिक्षकों को भारी नुकसान होगा और विरोध होना तय है।
सेटअप के अनुसार हो युक्तियुक्तकरण, नहीं तो आंदोलन
संघ का साफ कहना है कि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया केवल स्वीकृत सेटअप और शिक्षा के अधिकार कानून के अनुरूप ही की जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो बड़ी संख्या में शिक्षक अतिशेष की श्रेणी में आ जाएंगे, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।
संघ ने आज ही इसका ज्ञापन मुख्यमंत्री और शिक्षा सचिव को सौंपा है और स्पष्ट कर दिया है कि—
“अगर युक्तियुक्तकरण के नाम पर शिक्षकों के साथ अन्याय हुआ तो संघ आंदोलन करेगा।”
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आंदोलन की चेतावनी, सरकार को ज्ञापन
प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित दुबे ने जानकारी दी कि संघ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर शिक्षकों पर अन्याय हुआ, तो धरना प्रदर्शन और आंदोलनात्मक कदम उठाए जाएंगे।