विघ्नहर्ता : जाने भगवान गणेश जी की पूजा पहले करने का रहस्य…..

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    भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि और भाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्हें हाथी के सिर वाले देवता के रूप में चित्रित किया जाता है और उनका नाम “गणपति” या “गणेश” है। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं।

    गणेश जी की विशेषताएँ:

    1. सिर का प्रतीक: हाथी का सिर उनके विवेक और बुद्धिमत्ता का प्रतीक है।
    2. शारीरिक रूप: उनका मोटा शरीर समृद्धि और वैभव को दर्शाता है।
    3. चूहे पर सवारी: चूहा उनकी सवारी है, जो न केवल विनम्रता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि वे सभी बाधाओं को पार कर सकते हैं।

    पहले पूजा का महत्व:

    गणेश जी की पूजा सबसे पहले इसीलिए की जाती है क्योंकि:

    1. विघ्नहर्ता: गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है। वे किसी भी कार्य की शुरुआत में आने वाली बाधाओं और विघ्नों को दूर करते हैं।
    2. शुभारंभ: भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि हर मांगलिक कार्य की शुरुआत गणेश पूजा से होनी चाहिए। इससे कार्य में सफलता की संभावना बढ़ती है।
    3. सभी देवताओं के अधिपति: गणेश जी सभी देवताओं के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक हैं। उनकी पूजा से भक्तों को सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    इस प्रकार, गणेश जी की पूजा न केवल धार्मिक है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि की प्रतीक मानी जाती है।

    भगवान गणेश से जुड़ी ये कहानियां न केवल उनकी उत्पत्ति और महिमा को दर्शाती हैं, बल्कि भक्तों के लिए प्रेरणा भी देती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख कहानियों का संक्षेप में वर्णन किया गया है:

    1. गणेश जी का जन्म: माता पार्वती ने स्नान से पहले अपने शरीर के मैल से एक बालक बनाया और उसे गणेश नाम दिया। उन्होंने उसे कहा कि किसी को भी अंदर न आने दे। जब भगवान शिव आए, तो गणेश जी ने उन्हें रोका। शिव जी ने समझाने की कोशिश की, लेकिन गणेश जी ने उनकी बात नहीं मानी। अंततः शिव जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने गणेश जी का सिर काट दिया। माता पार्वती के कहने पर, गणेश जी को हाथी का सिर लगा दिया गया। इस प्रकार गणेश जी का स्वरूप और उनकी महिमा स्थापित हुई।
    2. पाताल लोक के राजा: एक बार नाग कन्याएं गणेश जी से अपने लोक जाने का आग्रह करने लगीं। गणेश जी ने उनके साथ जाने का निर्णय लिया। वहां नागराज वासुकी ने गणेश जी की तारीफ की, लेकिन जब वासुकी ने उनका अपमान किया, तो गणेश जी को क्रोध आ गया और उन्होंने वासुकी के फन पर पैर रखा। इसके बाद शेषनाग ने गणेश जी को पहचानकर उन्हें पाताल का राजा घोषित किया। इस घटना ने गणेश जी को न केवल सम्मान दिलाया बल्कि उन्हें पाताल लोक का अधिपति भी बना दिया।
    3. विघ्नहर्ता का अर्थ: भगवान शिव ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि वे सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत के लिए पहले पूजे जाएंगे। इस प्रकार गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है, जो हर प्रकार की बाधाओं और विघ्नों को दूर करते हैं।

    इन कहानियों के माध्यम से गणेश जी की विशेषताओं, उनके चरित्र, और उनके प्रति भक्ति का भाव स्पष्ट होता है। उनकी पूजा हर कार्य में शुभता और सफलता का प्रतीक मानी जाती है।

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