दिल्ली: 39 साल के लंबे इंतजार के बाद एक रेप पीड़िता को आखिरकार न्याय मिला। साल 1986 में हुए बलात्कार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए उसे जेल भेजने का आदेश दिया। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर गंभीर सवाल उठाए और उसके केस संभालने के तरीके पर नाराजगी जताई।
कैसे 39 साल तक लटका रहा मामला?
👉 1986 में नाबालिग पीड़िता के साथ 21 वर्षीय युवक ने किया था बलात्कार।
👉 1987 में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार देते हुए 7 साल की सजा सुनाई।
👉 2013 में राजस्थान हाईकोर्ट ने सबूतों की कमी का हवाला देकर आरोपी को बरी कर दिया।
👉 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए आरोपी को सरेंडर करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट पर उठाए सवाल
🔹 हाईकोर्ट के फैसले में पीड़िता का नाम बार-बार आने पर जताई कड़ी नाराजगी।
🔹 अदालत ने कहा कि पीड़िता और उसके परिवार को न्याय के लिए चार दशक इंतजार करना पड़ा, जो दुखद है।
🔹 पीड़िता की चुप्पी को आरोपी के पक्ष में नहीं माना जा सकता, सदमे की वजह से वह बोल नहीं पाई थी।
आरोपी को 4 हफ्ते में सरेंडर का आदेश
⚖️ सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को 4 हफ्ते के भीतर सरेंडर करने और बची हुई सजा पूरी करने के निर्देश दिए।
⚖️ कोर्ट ने कहा कि अभियोजन का पूरा भार सिर्फ पीड़िता पर डालना अनुचित है।
⚖️ अगर निंदात्मक बयान नहीं हैं, तो भी दोषसिद्धि बरकरार रखी जा सकती है, खासतौर पर जब अन्य सबूत मौजूद हों।