बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम निर्णय में नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण आदेश को अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक नगर निगम के कर्मचारी को दूसरे नगर निगम में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता, जब तक कि यह प्रतिनियुक्ति या ग्रहणाधिकार के तहत न हो।
क्या था मामला: असिस्टेंट इंजीनियर का ट्रांसफर विवाद
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अनुराग शर्मा, असिस्टेंट इंजीनियर, 2006 में बिरगांव नगर पालिका परिषद में पदस्थ हुए।
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वर्ष 2014 में बिरगांव को नगर निगम घोषित किया गया।
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बाद में उन्हें रायपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में सहायक अभियंता के रूप में अटैच किया गया।
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2021 में रायगढ़ नगर निगम में ट्रांसफर कर दिया गया, जिसे याचिकाकर्ता ने कोर्ट में चुनौती दी।
याचिकाकर्ता की दलीलें: कानूनी और मानवीय पक्ष
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याचिकाकर्ता ने नगर निगम अधिनियम 1956 की धारा 58(5) व 58(6) का हवाला दिया।
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उन्होंने बताया कि संबंधित निगम की सहमति के बिना ट्रांसफर नियमों के खिलाफ है।
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साथ ही मां की बीमारी और रायपुर से रायगढ़ की दूरी (250 किमी) को भी व्यवहारिक समस्या बताया।
राज्य सरकार की दलील: अधिनियम में स्थानांतरण का अधिकार
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राज्य सरकार ने कहा कि अधिनियम की धारा 58(5) सरकार को ट्रांसफर का अधिकार देती है।
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धारा 58(6) वेतन और भत्तों की सुरक्षा प्रदान करती है।
लेकिन कोर्ट ने इसे सही व्याख्या नहीं माना।
कोर्ट का अंतिम निर्णय: आदेश गैरकानूनी, स्थानांतरण रद्द
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कोर्ट ने माना कि यह ट्रांसफर प्रतिनियुक्ति या ग्रहणाधिकार के तहत नहीं आता।
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स्थानांतरण आदेश को कानून के विपरीत बताते हुए रद्द कर दिया गया।
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यह फैसला नगर निगम कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।