Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और पूजा विधि, यहां जाने सबकुछ….

22
Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और पूजा विधि, यहां जाने सबकुछ....

चैत्र नवरात्रि 2025: शुभारंभ और महत्व

चैत्र नवरात्रि 2025 का शुभारंभ 30 मार्च से हो रहा है और इसका समापन 6 अप्रैल को होगा। यह वासंती नवरात्रि भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख धार्मिक उत्सवों में से एक है। पुराणों में सालभर में चार नवरात्रों का उल्लेख मिलता है – चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ। इनमें से चैत्र और अश्विन के नवरात्र अधिक लोकप्रिय हैं, जबकि शेष दो नवरात्र तांत्रिक साधना के लिए माने जाते हैं।

नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है:

  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

नवरात्र के अंतिम दिन कन्या पूजन और राम नवमी का आयोजन किया जाता है, जिससे यह पर्व आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है।

कलश स्थापना मुहूर्त और विधि

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

  • 30 मार्च 2025 को कलश स्थापना का सही समय: सुबह 6:03 बजे से 7:51 बजे तक।

कलश स्थापना की विधि

  1. स्थान चयन करें: घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) की सफाई करें और वहां स्वच्छ जल का छिड़काव करें।
  2. मिट्टी बिछाएं: साफ मिट्टी या बालू की परत बिछाएं और उसमें जौ डालें।
  3. कलश की स्थापना: तांबे, मिट्टी या चांदी के कलश में शुद्ध जल भरें, उसमें गंगा जल (यदि संभव हो), सुपारी, सिक्का और कुछ चावल डालें।
  4. कलश पर मंत्र उच्चारण: कलश को जल से भरते समय मंत्र बोलें:

    गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥

  5. कलश पर नारियल और कलावा बांधें: नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखें और उस पर कलावा बांधें।
  6. कटोरी में जौ या चावल भरें: कलश के ऊपर रखी कटोरी में जौ या चावल भरें।
  7. वरुण देव का आह्वान करें: कलश में सात पवित्र नदियों का ध्यान करके जल का आह्वान करें।
  8. दीपक का स्थान: दीपक को दक्षिण-पूर्व कोने में रखें, कलश के ऊपर दीपक नहीं जलाना चाहिए।

मां शैलपुत्री की पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है। मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और वे नवदुर्गा में प्रथम स्वरूप मानी जाती हैं।

पूजन सामग्री

  • लाल फूल
  • दूध और घी
  • सफेद वस्त्र
  • चंदन
  • त्रिफला (आंवला, हरड़ और बहेड़ा)

पूजा मंत्र

मां शैलपुत्री की उपासना के लिए इस मंत्र का जाप करें:

“ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:”

इस मंत्र का जप कम से कम 108 बार करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां शैलपुत्री की कृपा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि के दौरान विशेष अनुष्ठान

  1. दुर्गा सप्तशती पाठ: नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
  2. रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन: देवी की कृपा पाने के लिए रात्रि जागरण का विशेष महत्व है।
  3. भोग अर्पण: मां दुर्गा को गाय का घी, दूध, मिश्री, और शुद्ध भोजन का भोग लगाना चाहिए।
  4. कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करना नवरात्रि का सबसे पवित्र अनुष्ठान माना जाता है।

30 मार्च 2025 का पंचांग: चैत्र नवरात्रि की होगी शुभ शुरुआत, जानें शुभ मुहूर्त, राहुकाल और पंचक….

महत्वपूर्ण बातें जो ध्यान में रखें

  • कलश स्थापना के समय पूर्ण पवित्रता का ध्यान रखें।
  • कलश के ऊपर दीपक जलाना उचित नहीं है।
  • अगर कलश के ऊपर शंख रखना हो तो दक्षिणावर्त शंख ही रखें।
  • नवार्ण मंत्र “ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे” का जाप हर विधि में करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here