हाउसिंग बोर्ड का खेल निराला, बिल्ली को सौंपी दूध की रखवारी, जाने क्या है पूरा मामला…

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हाउसिंग बोर्ड का खेल निराला, बिल्ली को सौंपी दूध की रखवारी, जाने क्या है पूरा मामला...

बिल्ली के हवाले दूध की रखवाली?

छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में तालपुरी घोटाले को लेकर जांच होनी थी, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि जिस अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप है, उसी को जांच का जिम्मा सौंप दिया गया। यह बिल्कुल वैसा है जैसे बिल्ली को दूध की रखवाली पर बैठा देना!

जांच के नाम पर खेल: खुद के खिलाफ खुद ही दे रहा है आदेश

गृह निर्माण मंडल ने एसीबी को जवाब देते हुए जिस अधिकारी की भूमिका संदिग्ध है, उसी अधिकारी से जांच करवाई जा रही है। सारे आदेश पत्र भी उसी अधिकारी के कार्यालय से जारी हो रहे हैं। इससे सवाल उठता है कि क्या ऐसी जांच से कोई निष्पक्ष परिणाम निकल पाएगा?

सबूत गायब, जांच रिपोर्ट चोरी!

  • टेंडर के मूल दस्तावेज और NIT फाइलें मुख्यालय से रहस्यमयी ढंग से गायब हो चुकी हैं।

  • जांच अधिकारी ने खुद कहा कि पूरा जांच प्रतिवेदन “चोरी” हो गया है।

खराब निर्माण, फिर भी ठेकेदारों को अतिरिक्त भुगतान क्यों?

  • घटिया सामग्री से बने भवनों की शिकायतों के बावजूद ठेकेदारों को अतिरिक्त भुगतान किया गया।

  • पेनाल्टी लगाने की बजाय ठेकेदारों को समय सीमा बढ़ाकर फायदा पहुँचाया गया।

क्या हो जांच की सही दिशा?

अगर इस घोटाले की जांच वाकई निष्पक्ष होनी है, तो

  • ईओडब्ल्यू,

  • एसीबी,

  • या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में बाहरी जांच समिति गठित की जाए।

तभी तालपुरी जैसे घोटालों की असली परतें खुलेंगी और दोषियों को जेल भेजा जा सकेगा।

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गड़बड़झाला – एक नजर में

  • 2008 में सुरक्षित टेंडर, लेकिन 2010 में बिना तकनीकी स्वीकृति के जारी किया गया कार्य आदेश

  • क्लास-C ठेकेदार को नियम विरुद्ध तरीके से काम सौंपा गया

  • 132 एकड़ की योजना को असामान्य रूप से बढ़ाकर हजारों करोड़ का घोटाला

  • निर्माण कार्य NIT शर्तों के विरुद्ध

  • फाइलें गायब, FIR तक दर्ज नहीं!

अब सवाल यह है:

क्या छत्तीसगढ़ सरकार इन भ्रष्ट अधिकारियों से जनता का पैसा वसूल करेगी?
या फिर ये जांचें सिर्फ कागजों में ही दबी रहेंगी?

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