बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के भेस्की गांव में विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा समुदाय के भइरा कोरवा द्वारा आत्महत्या करने के मामले में प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए तत्कालीन तहसीलदार यशवंत कुमार को निलंबित कर दिया है। भइरा कोरवा की जमीन को फर्जी तरीके से एक सामान्य वर्ग के व्यक्ति के नाम पर रजिस्ट्री करा दिया गया था, जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली।
संभाग आयुक्त की कार्रवाई, विवादित रजिस्ट्री भी की गई निरस्त
सरगुजा संभागायुक्त ने तत्कालीन तहसीलदार और प्रभारी उपपंजीयक यशवंत कुमार को सस्पेंड करते हुए विवादित विक्रय पत्र को भी निरस्त कर दिया है।
प्रशासन ने यह कदम जमीन हड़पने और आत्महत्या के बीच सीधे संबंध की पुष्टि के बाद उठाया।
शिकायतों की अनदेखी के बाद आत्महत्या, 22 अप्रैल को फांसी लगाई
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दिसंबर 2024: भेस्की गांव के पहाड़ी कोरवा परिवार ने राजपुर थाने और चौकी बरियों में शिकायत दी।
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जमीन को पटवारी से साठगांठ कर दूसरे के नाम रजिस्ट्री कराने का आरोप लगाया गया।
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कलेक्टर और एसपी से शिकायत, पर कार्रवाई नहीं हुई।
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22 अप्रैल: पीड़ित भइरा कोरवा ने आत्महत्या कर ली।
जांच में उजागर हुआ फर्जीवाड़ा, जनजातीय नियमों का उल्लंघन
जांच में सामने आया कि 2.411 हेक्टेयर भूमि को सहखातेदार की अनुमति और सक्षम प्रशासनिक स्वीकृति के बिना बेचा गया।
यह छत्तीसगढ़ सरकार के वर्ष 2000 के आदेश का उल्लंघन है, जिसमें जनजातीय भूमि के विक्रय के लिए कलेक्टर की अनुमति अनिवार्य है।
7 लोगों के खिलाफ FIR, क्रशर प्लांट सील
मामले में दर्ज आरोपियों में शामिल हैं:
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क्रशर संचालक: शिवराम, विनोद अग्रवाल, प्रवीण अग्रवाल
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अन्य आरोपी: महेंद्र गुप्ता, उदय शर्मा, पटवारी राहुल सिंह और तहसीलदार यशवंत कुमार
इन सभी पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं 3(5), 318(4), 336(3), 338, 340(2) के तहत FIR दर्ज की गई है। मुख्य आरोपी अभी फरार हैं और उनका क्रशर प्लांट प्रशासन ने सील कर दिया है।
निलंबित तहसीलदार को जीवन निर्वाह भत्ता, मुख्यालय सूरजपुर तय
यशवंत कुमार को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1966 के तहत निलंबित किया गया है।
सस्पेंशन के दौरान उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा और उनका मुख्यालय सूरजपुर कलेक्टर कार्यालय निर्धारित किया गया है।